विधि विशेषज्ञों की मानें तो अब जो स्थिति है, उसमें चाहे विवाद कोर्ट के बाहर सुलझ जाए या फैसला हिंदुओं के पक्ष में आ जाए, मंदिर निर्माण में विहिप की कोई भूमिका मुमकिन नहीं है.
संघ परिवार के संगठन इन दिनों अयोध्या में ख़ुद को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सद्भावपूर्ण हल का सबसे बड़ा पैरोकार सिद्ध करने में लगे हैं.
आज अयोध्या सीता जैसी ही अकेली है. वह नहीं समझ पा रही कि इस उदासी का गिला किससे और कैसे करे? बुधवार की जगर-मगर देखने तो सैकड़ों न्यूज़ चैनल दौड़ पड़े थे, अब उसकी उदासी को खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है.
सही मायने में अयोध्या और यहां रहने वाले लोगों की फ़िक्र किसी को नहीं है. 1,71,000 दीयों वाली सरकारी दीपावली मनाकर योगी सरकार सिर्फ़ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है.
नई बात यह है कि इस बार वे ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगाते अयोध्या नहीं लौटे हैं. सरयू तट पर भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाने और भव्य देव दीपावली मनाने आए हैं.