बीते सोमवार से एम्स के करीब पांच हज़ार नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करना और अनुबंध आधारित भर्ती ख़त्म करना नर्सों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं.
करीब पांच हज़ार नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस महामारी के समय में हड़ताल को अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया.
ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आंकड़े जारी कर बताया कि कोरोना मरीज़ों की देखभाल के दौरान महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक स्टाफ नर्स कोरोना संक्रमित हैं और कोविड से सबसे अधिक नर्सों की मौत भी इन्हीं राज्यों में हुई है.
अहमदाबाद नगर निगम संचालित एसवीपी अस्पताल द्वारा अनुबंध पर रखी गईं नर्सों और अन्य कर्मचारियों के वेतन में 10 से 20 प्रतिशत की कटौती की सूचना उनकी ठेकेदार कंपनी द्वारा दी गई थी.
दिल्ली में कालरा अस्पताल का मामला. नर्सों का आरोप है कि अगर हम इस्तेमाल किए गए पीपीई किट के दोबारा उपयोग पर आपत्ति जताते हैं तो कहा जाता है कि यहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का इलाज नहीं किया जाता इसलिए यहां संक्रमण का ख़तरा कम है.
दिल्ली स्टेट हॉस्पिटल्स नर्सेज़ यूनियन ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए मांग की है कि पीपीई और मास्क की कमी दूर की जाए, एक ही हॉल में बेड लगाकर सभी नर्सों के रुकने का इंतज़ाम करने की बजाय उन्हें अलग कमरे दिए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिकाओं में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों, नर्सों और सहयोगी कर्मचारियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि शिक्षा और चिकित्सा पैसा ऐंठने वाले धंधे बन गए हैं. नर्सों के अधिकारों की रक्षा को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाने के बावजूद निजी चिकित्सा संस्थानों में नर्सों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में केंद्र सरकार को दिए उस निर्देश की पालना की जाए जिसमें कहा गया था कि नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों में नर्सों के वेतन और कार्य परिस्थितियों को सुधारने के लिए एक समिति का गठन हो.