2017 में 'माओवादी संबंधों' को लेकर दोषी ठहराए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर जीएन साईबाबा नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं. उनकी पत्नी वसंता का कहना है कि वे उनकी बर्ख़ास्तगी को अदालत में चुनौती देंगी.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की एक अदालत ने 2017 में जीएन साईबाबा और चार अन्य को माओवादियों से संपर्क रखने और देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए सज़ा सुनाई थी. तब से वह नागपुर जेल में बंद हैं.
वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की एक अदालत ने माओवादियों के साथ संबंध रखने और देश के खिलाफ लड़ाई छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफसेर जीएन साईबाबा और चार अन्य को दोषी ठहराया था. तब से उन्हें नागपुर जेल में रखा गया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा, जेएनयू के एक छात्र और एक पत्रकार समेत पांच लोगों को 2017 में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने माओवादियों से संपर्क रखने और भारत के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचने का दोषी क़रार दिया था.
माओवादियों के साथ संबंध रखने के मामले में नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे जीएन साईबाबा अपनी मां के अंतिम संस्कार के बाद की रस्मों में हिस्सा लेने के लिए पैरोल का आवेदन दिया था.
माओवादियों के साथ संबंध रखने के मामले नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे जीएन साईबाबा अपनी मां के अंतिम संस्कार के रस्मों में हिस्सा लेने के लिए पैरोल पर छुट्टी देने का आवेदन दिया था.