पिछले 40-45 वर्षों में संविधान की नींव कई बार हिली और ‘हम भारत के लोगों’ को तोड़ने के कई प्रयास किए गए, पर ‘हम लोग’ की परिभाषा अपरिवर्तित ही रही. कई सरकारें आईं-गईं पर एक समूचे समुदाय को देश की मुख्यधारा से काटने का प्रयास नहीं हुआ, लेकिन आज परिस्थितियां और हैं.
सीजेआई शरद अरविंद बोबडे ने राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 107वें दीक्षांत समारोह में कहा कि नागरिकता सिर्फ लोगों के अधिकारों के बारे में ही नहीं बल्कि समाज के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में भी है.
कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में चार मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें नागरिकता कानून, एनआरसी के विरोध को दबाने की सरकार की कोशिश, देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, जम्मू कश्मीर में सरकार की पाबंदी के छह महीने पूरे होने और खाड़ी में ईरान और अमेरिका के बीच विवाद की वजह से बन रहे हालात शामिल हैं.
एनआरसी और एनपीआर को ख़ारिज किया जाना चाहिए और नागरिकता क़ानून को फिर से तैयार किया जाए, जिसमें इसके प्रावधान किन्हीं धर्म विशेष के लिए नहीं, बल्कि सभी प्रताड़ितों के लिए हों.
असम के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने कहा कि मोदी झूठे हैं. असम के गोलपाड़ा ज़िले के मटिया में तीन हज़ार अवैध प्रवासियों के रहने के मद्देनज़र एक बड़े हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने 46 करोड़ रुपये मंज़ूर किए थे. वह अचानक कहते हैं कि देश में कोई हिरासत केंद्र नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में हिरासत केंद्र बनाए जाने और हिरासत केंद्र बनाने को लेकर केंद्र द्वारा विभिन्न राज्यों को भेजे गए दिशानिर्देशों को नकारते हुए बीते रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में कहा था कि भारत में कहीं भी हिरासत केंद्र नहीं है.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने साबरमती आश्रम में नागरिकता कानून के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब आजादी मिली तब भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का महज नौ फीसदी थी, जो 70 साल में बढ़कर 14 फीसदी हो गई है.
अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.
आईआईटी मद्रास से फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मन छात्र जैकब लिंडेनथल ने कहा है कि वे नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ कैंपस में हुए एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से भारत छोड़ने के निर्देश मिले.
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शुरू हुए आंदोलन का हासिल यह है कि आज हर कोई यह सवाल कर रहा कि आख़िर इस क़ानून की ज़रूरत क्या थी, एनआरसी क्यों लाई जाएगी. इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर वोटर कार्ड है, आधार है तो अब रजिस्ट्रेशन किस बात का.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार में एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है. हालांकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत भाजपा के विभिन्न नेताओं ने समय-समय पर कहा है कि देश भर में एनआरसी लागू किया जाएगा.
राज्य सरकारों से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि लोगों को बाहर जाकर रोजी क्यों तलाशनी पड़ती है? लोग अपने परिवार के साथ अपने इलाके में गरिमामय जीवन और शांति का माहौल चाहते हैं. राज्य सरकारें उनके राज्यों में रहने-जीने की सही व्यवस्था और अपराधमुक्त माहौल क्यों नहीं मुहैया करा पातीं?
भारतीय लोकसभा में पारित किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान ने कहा है कि इसके पीछे बहुसंख्यक एजेंडा है. इस विधेयक ने आरएसएस-भाजपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दुनिया के सामने ला दिया है.
नागरिकों की ‘शुद्धता की कवायदें और अंधराष्ट्रवाद’ वह खाद-पानी है, जिस पर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विचार मज़बूती पाता है.
अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों पर बनी एक संघीय संस्था यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने आरोप लगाया है कि असम में एनआरसी धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और मुस्लिमों को राज्यविहीन करने का एक साधन है.