मोदी सरकार लोकतंत्र के जिन प्रतीकों को संजोने का दावा करती है, वह उन्हें ख़त्म कर चुकी है.
भारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान एनआरसी का मुद्दा उठाया.
असम में अंतिम एनआरसी 31 अगस्त को जारी की गई थी, जिसमें 19 लाख से ज़्यादा आवेदकों के नाम शामिल नहीं थे. एनआरसी में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं हैं उन्हें अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के 120 दिन के भीतर विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण में अपील दायर करनी होगी.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार जिन रजिस्टर्ड वोटर का नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं आया है, वे डी-वोटर नहीं कहलाएंगे. असम में डाउटफुल या संदिग्ध वोटर उन मतदाताओं की श्रेणी है, जिनकी नागरिकता संदेह के घेरे में होती है.
अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का भारत में ‘एकीकरण नहीं करने’ को लेकर नेहरू की आलोचना की.
असम में 31 अगस्त को जारी हुई एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख से ज्यादा आवेदकों के नाम नहीं हैं, जिनमें 12 लाख से अधिक हिंदू शामिल हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की जनता ने 2019 के आम चुनाव के फैसले के माध्यम से देशभर में एनआरसी लागू करने पर अपनी मुहर लगा दी है.
असम के गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद के 68वें पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत सरकार किसी भी अवैध प्रवासी को देश में रहने की अनुमति नहीं देगी. यह हमारी प्रतिबद्धता है.
उदारवादी बौद्धिक जमात के लिए भारत भले ही अब तक हिंदू राष्ट्र न बना हो, लेकिन गलियों में घूमनेवाले हिंदुत्ववादियों के लिए यह एक हिंदू राष्ट्र है. इसके लक्षण भले छिपे हुए हों, लेकिन इसके समर्थक और पीड़ित, दोनों ही बहुत ही स्पष्ट तरीके से इसका अनुभव कर सकते हैं.
मिया कविता, मिया समुदाय की अस्मिता की लड़ाई है, अपनी भाषा-संस्कृति, अपनी पहचान की लड़ाई है. वे अपनी कविताओं के माध्यम से इस भूखंड पर अपनी पहचान, अपने अस्तित्व और अपने हक़ की मांग कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि बांग्लादेश से सटे जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों लोगों को गलत तरीके से असम एनआरसी में शामिल किया गया है. इस वजह से एनआरसी को अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समयसीमा बढ़ाई जाए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि देश की इंच-इंच ज़मीन पर जो अवैध प्रवासी रहते हैं, हम उनकी पहचान करेंगे तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उन्हें निर्वासित करेंगे.
असम नागरिकता मुद्दे पर जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, इनमें से अधिकतर बंगाली मूल के मुस्लिम कवि और कार्यकर्ता हैं. इन पर दुनियाभर में असम के लोगों की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया है.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खाटीवाड़ा और असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बजयंती देवी के परिवार के सदस्यों को असम एनआरसी के पूर्ण मसौदे से बाहर कर दिया गया है.
विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था.