दिल्ली पुलिस ने तबलीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ वीज़ा शर्तों के उल्लंघन, धार्मिक प्रचार गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोपों को लेकर चार्जशीट दायर की थी. हालांकि कोर्ट ने ठोस सबूत नहीं मिलने पर सभी को बरी कर दिया.
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए कई लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात सामने आने के बाद कई विदेशी नागरिकों पर लॉकडाउन और वीज़ा शर्तों के उल्लंघन के आरोप में मामले दर्ज किए गए थे.
दिल्ली पुलिस ने वीज़ा शर्तों के कथित उल्लंघन, धार्मिक प्रचार गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोपों में क़रीब 955 विदेशियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की थी, जिनमें से 44 ने दिल्ली में केस लड़ा. साकेत अदालत ने इनमें से आठ को बरी किया और बाकी 36 पर से कई आरोप हटा दिए हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने तबलीग़ी जमात के 29 विदेशी सदस्यों के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर रद्द करते हुए कहा कि दिल्ली में जमात के कार्यक्रम में शामिल होने आए विदेशियों के ख़िलाफ़ मीडिया में दुष्प्रचार किया गया और ऐसी छवि बनाने की कोशिश की गई कि ये ही भारत में कोविड-19 फ़ैलाने के ज़िम्मेदार थे.
25 साल के हरीराम चौधरी द्वारका में रहकर मार्बल काटने का काम करते थे, जो दो महीने से ठप है. पांच दिन पहले अपनी मां की मौत की ख़बर पाने के बाद से वे घर जाने की उम्मीद लिए पैदल ही शहर भर की खाक़ छान रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से न सिर्फ ग़लत है, बल्कि ऐसा लगता है कि पूरी तरह से असत्यापित स्रोतों और विशुद्ध रूप से कल्पना पर आधारित है.
डब्ल्यूएचओ कहता है कि नागरिकों का स्वास्थ्य सरकारों की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है. लेकिन भारत सरकार के यात्राओं पर प्रतिबंध, हवाई अड्डों पर सबकी स्क्रीनिंग के निर्णय में हुई देरी पर बात नहीं हुई, न ही कोविड जांच की बेहद कम दर की बात उठी. जमात ने ग़लती की है पर क्या सरकारों को कभी उनकी नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा?
वीडियो: दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में रहने वाली एक गर्भवती महिला को सफ़दरजंग अस्पताल ने कथित तौर पर यह कहते हुए भर्ती करने से मना कर दिया कि वे रेड ज़ोन इलाके से आ रही हैं. महिला का आरोप है कि इसी तरह पांच अन्य अस्पतालों ने भी उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया था.
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावनाएं वायरस आने से पहले ही मज़बूत थी, लेकिन अब कोरोना संक्रमण के बीच यह और मुखर हो रही हैं.
पुलिस के अनुसार कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी को काबू करने के लिए सामाजिक दूरी संबंधी केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद भी मौलाना साद ने पिछले महीने निज़ामुद्दीन मरकज़ में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया था.
इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.
दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.
मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने अपील की कि हम एक संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इससे निपटने के उपायों का पालन में करने में मामूली सी चूक हमारे सारे प्रयासों को व्यर्थ साबित कर देती है.
अमेरिकी राजनयिक सैम ब्राउनबैक ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को आक्रामकता से ख़ारिज कर देना चाहिए.