मणिपुर: ‘गोबर से कोविड का इलाज न होने’ की बात कहने वाले कार्यकर्ता और पत्रकार दो महीने से जेल में

मणिपुर भाजपा अध्यक्ष सैखोम टिकेंद्र सिंह की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम और कार्यकर्ता एरेन्द्रो लीचोम्बाम ने अपने फेसबुक पोस्ट के ज़रिये सरकार को निशाना साधते हुए लिखा था कि कोरोना का इलाज गोमूत्र या गोबर नहीं, बल्कि विज्ञान है.

मणिपुर: भाजपा नेता की मौत पर पोस्ट लिखने वाले पत्रकार-कार्यकर्ता रासुका के तहत फ़िर गिरफ़्तार

मणिपुर राज्य के भाजपा प्रमुख एस. टिकेंद्र सिंह का बीते 12 मई को कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से निधन हो गया था. पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम और कार्यकर्ता एरेन्द्रो लीचोम्बाम ने अपने फेसबुक एकाउंट के ज़रिये अलग-अलग पोस्ट में श्रद्धांजलि देते हुए लिखा था कि गाय का गोबर या गोमूत्र कोविड-19 से बचाव नहीं करते हैं. उन्होंने कहा था कि इसका इलाज विज्ञान और कॉमन सेंस है.

मणिपुर: भाजपा नेता की मौत पर फेसबुक पोस्ट के चलते पत्रकार और कार्यकर्ता गिरफ़्तार

राज्य भाजपा अध्यक्ष सैखोम टिकेंद्र सिंह की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम और कार्यकर्ता एरेन्द्रो लीचोम्बाम ने अपने फेसबुक पोस्ट के ज़रिये सरकार को निशाना साधते हुए लिखा था कि कोरोना का इलाज गोमूत्र या गोबर नहीं, बल्कि विज्ञान है.

द वायर के मैनेजर राधाकृष्ण मुरलीधर का जाना…

स्मृति शेष: दुनिया के हर देश के किसी भी सामान्य मीडिया संस्थान में मुरली जैसे लोग होते हैं. ये स्वतंत्र प्रेस के अनदेखे-अनसुने नायक होते हैं, जिनकी मेहनत के चलते पत्रकार वो कर पाते हैं, जो वो करते हैं. उनके लिए कोई अवॉर्ड, कोई सराहना नहीं होती पर रिपोर्टर द्वारा संस्थान को मिल रहे सम्मान को वे अपना समझकर संजोते हैं.

सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पत्रकार ख़शोगी की हत्या की मंज़ूरी दी थी: अमेरिकी रिपोर्ट

पत्रकार जमाल ख़शोगी की दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अखबार में लेख लिखते थे और क्राउन प्रिंस की नीतिओं के कटु आलोचक थे.

ग़ुलाम मीडिया के रहते कोई मुल्क आज़ाद नहीं होता…

डिजिटल मीडिया आज़ाद आवाज़ों की जगह है और इस पर ‘सबसे बड़े जेलर’ की निगाहें हैं. अगर यही अच्छा है तो इस बजट में प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लॉन्च हो, मनरेगा से गांव-गांव जेल बने और बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाए. मुनादी की जाए कि जेल बंदी योजना लॉन्च हो गई है, कृपया ख़ामोश रहें.

ऑनलाइन धोखाधड़ी: टीवी पत्रकार निधि राज़दान ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

समाचार चैनल एनडीटीवी की पूर्व कार्यकारी संपादक निधि राज़दान ने जून 2020 में ट्वीट कर बताया था कि उन्हें अमेरिका स्थित प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एसोसिएट प्रोफ़ेसर की नौकरी का प्रस्ताव मिला है, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया था. ऑनलाइन धोखाधड़ी के इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा करेगी.

मणिपुर: राजद्रोह और यूएपीए के तहत गिरफ़्तार पत्रकार रिहा, पुलिस ने कहा- केस बंद नहीं

पुलिस ने 17 जनवरी को राज्य के दो वरिष्ठ पत्रकारों- फ्रंटियर मणिपुर न्यूज़ पोर्टल के कार्यकारी संपादक पाओजेल चाओबा और प्रधान संपादक धीरेन साडोकपाम को पोर्टल पर छपे एक लेख पर एफआईआर दर्ज करते हुए हिरासत में लिया था. उन पर यूएपीए और राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं.

लगातार पांचवां साल, जब विश्व में कम से कम 250 पत्रकार हिरासत में: कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर इस महीने की शुरुआत में कम से कम 274 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा जिनमें 36 महिला पत्रकार हैं. पत्रकारों को जेल में रखने के मामले में चीन सबसे ऊपर है.

पत्रकारों का काम सरकारों का प्रवक्ता बनना नहीं, उनसे सवाल पूछना है

पत्रकारिता और देशभक्ति का साथ विवादास्पद है. देशभक्ति अक्सर सरकार के पक्ष का आंख मूंदकर समर्थन करती है और फिर प्रोपगेंडा में बदल जाती है. आज सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कला में पारंगत हो चुकी है और जिन पत्रकारों पर सच सामने रखने का दारोमदार था, वही इसमें सहभागी हो गए हैं.

मोदी सरकार प्रेस की आज़ादी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध, इसकी आवाज़ कुचलने वालों के ख़िलाफ़: अमित शाह

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत शीर्ष नेताओं ने स्वतंत्र प्रेस को ‘लोकतंत्र की आत्मा’ बताया और कहा कि प्रेस की आज़ादी पर किसी भी प्रकार का हमला राष्ट्रीय हितों के लिए नुकसानदेह है और हर किसी को इसका विरोध करना चाहिए.

मध्य प्रदेश: पत्रकारिता के पेपर को लेकर विवाद, भाजपा के पक्ष में सवाल पूछने का आरोप

इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के मास्टर ऑफ जर्नलिज़्म की सालाना परीक्षा एक पेपर में पूछे गए सवालों पर एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय का ‘भाजपायीकरण’ हो चुका है और परीक्षाओं तक में इसी दल के पक्ष में सवाल पूछे जा रहे हैं. हालांकि जांच के बाद प्रबंधन ने पेपर को क्लीनचिट दे दी.

मीडिया बोल: रेडियो रवांडा के नक़्शेक़दम पर भारतीय न्यूज़ चैनल

वीडियो: ख़बरें देने के नाम पर भारतीय टीवी चैनलों पर कोई 'यूपीएससी ज़िहाद' दिखा रहा है, तो कोई पढ़े-लिखों को किसी झूठे केस में फंसाने की सियासी साज़िश में जुटा है. मीडिया बोल की इस कड़ी में इन्हीं मुद्दों पर सत्य हिंदी के संपादक शीतल सिंह और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.

मीडिया ट्रायल पर वकीलों ने कहा- क़ानूनी सुनवाई की जगह शर्मिंदगी की सुनवाई ने ले ली है

राम जेठमलानी मेमोरियल लेक्चर के पहले संस्करण में वकीलों ने आपराधिक मामलों और अदालतों में चल रहे मामलों की जांच को प्रभावित करने के लिए मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यधारा के मीडिया और सोशल मीडिया का संयोजन एक ख़तरनाक कॉकटेल बन गया है, जो क़ानून के लिए ठीक नहीं है.

मीडिया बोल: न्यूज़ चैनलों के पतन का कारण टीआरपी रेस या एजेंडा सेटिंग!

वीडियो: समाचार चैनलों के बीच गलाकाट टीआरपी की रेस, एजेंडा सेटिंग और वर्चस्व की शक्तियों के औज़ार बनने की कहानी का क्या सच है? इस मुद्दे पर सत्य हिंदी के संपादक आशुतोष, आज तक के पूर्व संपादक नवीन कुमार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.

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