बीते दिनों कांग्रेस ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद कहा था कि इस जून में पार्टी का नया अध्यक्ष निर्वाचित होगा. अब दिल्ली कांग्रेस की बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के अलावा दो अन्य प्रस्तावों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफ़े की मांग की गई.
पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में वॉट्सऐप चैट, कृषि क़ानूनों और कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ टीकाकरण के मुद्दों को लेकर तीन अलग-अलग प्रस्ताव पारित किए गए.
वीडियो: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से बॉलीवुड में परिवारवाद और नेपोटिज़्म या भाई-भतीजावाद को लेकर बहस तेज़ हो गई है. इस मुद्दे को लेकर अभिनेता मनोज बाजपेयी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य सरकारों को संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की मिसाल पेश करनी होगी तथा घोषणापत्र में किए वादों को पूरा करना होगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि मैं समझता हूं कि बाहरी व्यक्ति हमें यह आदेश नहीं दे कि हमारा नेता कौन हो या हमें किस तरह के नेता की जरूरत है.
विशेष रिपोर्ट: दिसंबर 2017 में राहुल गांधी के लिए अध्यक्ष पद छोड़ने वाली सोनिया गांधी की मात्र 20 महीने बाद एक बार फिर से अध्यक्ष पद पर वापसी हुई है. बीते हफ्ते हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया.
शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति की दो बार बैठक हुई जिसमें नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया. राहुल के नहीं मानने के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने महसूस किया कि लोकतांत्रिक तरीका अपनाया जाना चाहिए और हर किसी के विचार को शामिल किया जाना चाहिए. इसीलिए उन्होंने खुद को चयन प्रक्रिया से अलग कर लिया.
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के दो महीने बाद भी कांग्रेस कार्य समिति ने अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया है.
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के महीने भर बाद भी पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर किसी का चुनाव नहीं हो सका है. आने वाले महीनों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अध्यक्ष चुनने में हो रही देरी पार्टी को भारी पड़ सकती है.
बॉलीवुड भले ही अवसरवादी और रीढ़विहीन नज़र आता हो लेकिन अलग-अलग नज़रिया रखने वाले इसके सदस्य अपने देश की मार्केटिंग और उससे पैसे बनाने के मामले में एक-दूसरे से कोई मतभेद रखते नहीं दिखते.
क्या अगले आम चुनाव में मोदी सरकार या महागठबंधन में से कोई नेता या दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा कर सकता है कि वो देश की आम जनता को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा देने की संवैधानिक जवाबदारी निभाने के लिए 2019 से देश के अरबपतियों और अमीरों पर उचित टैक्स लगाने का काम करेगा?
एक नागरिक और कार्यकर्ता के रूप में सतर्क रहना चाहिए कि राजनीति चंद परिवारों के हाथ में न रह जाए. लेकिन इस सवाल पर बहस करने योग्य न तो अमित शाह हैं, न नरेंद्र मोदी और न राहुल गांधी. सिर्फ जनता इसकी योग्यता रखती है. जब तक ये नेता कोई साफ़ लाइन नहीं लेते हैं, परिवारवाद के नाम पर इनकी बकवास न सुनें.
भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी क्या वाकई वंशवाद के ख़िलाफ़ हैं? अगर हां, तो उनकी पार्टी में इतने परिवारों को जगह कैसे मिली हुई है?
आपातकाल की चर्चा तब तक पूरी नहीं होती जब तक स्वाधीनता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा न की जाए.