एक महिला के चार साल की बेटी की कस्टडी मांगने पर पति द्वारा उनके चरित्र पर सवाल उठाने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में किसी महिला के चरित्र पर आक्षेप लगाना सामान्य बात है. आमतौर पर ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं होता. महिला के विवाहेतर संबंध हों भी तो यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि वह अच्छी मां नहीं होगी.
दिसंबर 2013 में संतोष अख़्तर नाम के शख़्स ने चाय न बनाने पर अपनी पत्नी पर हथौड़े से हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. अदालत ने कहा कि सामाजिक स्थितियों के कारण महिलाएं स्वयं को अपने पतियों को सौंप देती हैं, इसलिए इस प्रकार के मामलों में पुरुष स्वयं को श्रेष्ठतर और अपनी पत्नियों को ग़ुलाम समझने लगते हैं.
एक तलाक याचिका की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता और शिक्षा के साथ एक महिला को यह जानना चाहिए कि उसे परिवार के साथ कैसे पेश आना है और शादी टूटने का कारण नहीं बनना चाहिए.
मार्गरिटा विथ अ स्ट्रॉ, वेटिंग और दैट गर्ल इन यलो बूट्स जैसी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा कि शादी के बाद लोग उन्हें ‘अनुराग की पत्नी’ कहते थे लेकिन अनुराग को कभी ‘कल्कि का पति’ नहीं कहा.
पुरुषत्व और मर्दवाद की स्थापना के चलते लड़कों के लैंगिक शोषण को महत्वहीन विषय माना गया है. यदि कोई यह शिकायत करता है तो उसे अपमान झेलना पड़ता है और कमज़ोर माना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय ‘श्रमजीवी’ महिला दिवस से श्रमजीवी शब्द को हटाना मज़दूर महिलाओं के संघर्ष और इस दिन के इतिहास के महत्व को कम करता है.
कैंपस की कहानियां: इस विशेष सीरीज़ में दिल्ली में अनुवादक का काम करने वाली रश्मि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से जुड़े अपने अनुभव साझा कर रही हैं.