नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविववार को एक ट्वीट में कहा, 'अगस्त 2019 के बाद यह नया जम्मू कश्मीर है. हमें बिना कारण बताए हमारे घरों में क़ैद कर दिया गया है.' वहीं श्रीनगर पुलिस का कहना है कि पुलवामा हमले की बरसी के चलते वीआईपी और अन्य लोगों की आवाजाही कम की गई है.
पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के कुछ दिन बाद शाह फैसल को हिरासत में ले लिया गया था.
जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जम्मू कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ नज़रबंद हैं. उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आरोप लगाया कि उनके पति को पीएसए के तहत घर में ही नज़रबंद करने की वजह आज तक नहीं बताई गई हैं.
भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन करने वाले शाह फैसल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से नज़रबंदी में हैं और उन पर इस साल फरवरी में जन सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी.
भाजपा की विचारधारा का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुसलमान जिगर का टुकड़ा है और सांप्रदायिक राजनीति का सवाल ही पैदा नहीं होता.
जम्मू कश्मीर पर एक ब्रिटिश संसदीय दल की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद डेब्बी अब्राहम को बीते सोमवार को नई दिल्ली हवाईअड्डे पर पहुंचने पर भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी.
पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत भी मामला दर्ज किया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका है.
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर की स्थिति में बदलाव किए जाने के तुरंत बाद लेबर पार्टी की सांसद एवं कश्मीर पर सर्वदलीय संसदीय दल की अध्यक्ष डेब्बी अब्राहम ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया कि यह कार्रवाई कश्मीर के लोगों के विश्वास को धोखा देती है.
पूर्व नौकरशाह और कश्मीरी नेता शाह फैसल को अगस्त 2019 में दिल्ली हवाईअड्डे पर उड़ान भरने से रोके जाने के बाद श्रीनगर ले जाया गया था, तब से वे हिरासत में हैं. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उनकी हिरासत को सही ठहराते हुए कहा था कि उन्होंने देश की संप्रभुता और अखंडता के ख़िलाफ़ श्रीनगर हवाई अड्डे पर जमा लोगों को भड़काया था.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में लिए जाने के ख़िलाफ़ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. पिछले साल अगस्त में राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से ही उमर नज़रबंद हैं.
आज जब सुनवाई शुरु हुई तो तीन न्यायाधीशों की पीठ में शामिल जस्टिस मोहन शांतानागौदर ने खुद को इसकी सुनवाई से अलग कर लिया. बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ जो पीएसए लगाने के लिए जो आरोप लगाए गए हैं उनमें उनकी बड़ी संख्या में वोट हासिल करने की क्षमता का जिक्र किया गया है. वहीं, खतरनाक साजिश रचने की क्षमता के कारण पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को 'डैडी गर्ल' और 'कोटा रानी' कहा गया.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पीएसए के तहत नजरबंद करने के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
इसके साथ ही दो अन्य नेताओं पर भी इस कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के सरताज मदनी शामिल हैं. पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि कश्मीर में राजनीतिक बंदियों की रिहाई, इंटरनेट बहाल करने और घाटी में लोगों का डर दूर करने से स्थिति सामान्य होगी, न कि विभिन्न मंत्रियों के फोटो खिंचवाने से.