सोशल मीडिया पर सामने आए राजनांदगांव ज़िले के एक वीडियो में पीपीई किट पहने चार सफाई कर्मचारी कोरोना मृतकों के शव कचरा ढोने वाले वाहन में रख शवदाह गृह ले जाते दिख रहे हैं. राजनांदगांव सीएमएचओ का कहना है कि शव वाहन न होने पर ऐसा करना पड़ा. कचरा वाहन को साफ कर सैनिटाइज़ किया गया था.
मंगलवार को प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 15,121 नए संक्रमित मिले हैं, जिसमें सर्वाधिक रायपुर में हैं. अधिकारियों के अनुसार बीते दो दिनों से रायपुर में प्रति दिन 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इस बीच राजधानी के बीआर आंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स पीपीई किट, दस्तानों, मास्क आदि सुविधाओं को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चार अगस्त 2020 के आदेश में परिवर्तन करते हुए यह बात कही हैं. उस आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कोरोना वायरस के जोख़िम को देखते हुए बुज़ुर्ग लोगों को भर्ती एवं इलाज में प्राथमिकता देने का निर्देश केवल सरकारी अस्पतालों को दिया था.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अक्टूबर महीने में सबसे अधिक 5,500 टन कोविड-19 कचरा पैदा हुआ. कोविड-19 बायो मेडिकल कचरे में पीपीई किट, मास्क, जूतों के कवर, दस्ताने, रक्त से दूषित चीजें इत्यादि आते हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मृत स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा या नौकरी के लिए कोविड-19 के संदर्भ में कोई विशेष योजना प्रस्तावित नहीं की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा संसद में दिए गए बयान में काम के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टरों का ज़िक्र न होने से नाख़ुश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ऐसे 382 चिकित्सकों की सूची जारी करते हुए उन्हें शहीद घोषित करने की मांग की है.
शीर्ष अदालत ने बीते चार अगस्त को कोविड-19 महामारी के समय अकेले रह रहे करोड़ों बुज़ुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन, आवश्यक दवाएं, सैनिटाइज़र, मास्क तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्यों से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा था.
शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि महामारी के समय में करोड़ों बुज़ुर्ग अकेले रहे हैं और इस बात के लिए उचित निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि पात्र लोगों को समय पर पेंशन मिले.
त्रिपुरा के भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन पर आरोप है कि वह कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करते हुए अनाधिकृत तरीके से अगरतला स्थित एक कोविड केयर सेंटर गए थे.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को एहतियात बरतने के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि वरिष्ठ और युवा डॉक्टर समान रूप से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन वरिष्ठों की मृत्यु दर अधिक है.
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच असम सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर कहा है कि पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था किए बिना बेड बढ़ाना एक निरर्थक कवायद होगी. अगर उचित योजना नहीं बनाई गई, तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.
इससे पहले कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाख़िल एक अन्य याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि संक्रमण से बचाव की अंतिम ज़िम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.
जम्मू में बीते 18 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. परिजनों को आरोप है कि दोनों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भीषण गर्मी के बावजूद उन्हें पीपीई किट पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. पानी की कमी से उनकी मौत हो गई.
घटना गुरुवार को उस समय हुई, जब एक 65 वर्षीय कोरोना संक्रमित व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए उनके बेटे के साथ परिवार के दो लोग जा रहे थे. बताया गया कि तीनों ने पीपीई किट पहन रखी थी और बेहद गर्मी के चलते वे बेहोश हो गए. इनमें से दो की मौत हो गई, एक अस्पताल में भर्ती है.
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लगातार घर-घर जाकर सर्वे करने वाली आशा कार्यकर्ता पर्याप्त सुरक्षा उपकरण न मिलने के चलते अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. एक कार्यकर्ता ने बताया कि उन्हें दो महीने पहले एक-एक पीपीई किट दी गई थी, जिसे वे धोकर दोबारा इस्तेमाल कर रही हैं.