मुख्यधारा की पत्रकारिता तो शुरुआती दिनों से ही राम जन्मभूमि आंदोलन का अपने व्यावसायिक हितों के लिए इस्तेमाल करती और ख़ुद भी इस्तेमाल होती रही. 1990-92 में इनकी परस्पर निर्भरता इतनी बढ़ गई कि लोग हिन्दी पत्रकारिता को हिंदू पत्रकारिता कहने लगे.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हमारे कई मंत्री पीओके पर हमला कर उसे वापस लेने के बारे में बात कर रहे हैं. मेरा मानना है कि अगर पीओके अगला लक्ष्य है तो हम इसे जम्मू कश्मीर के विकास के आधार पर ले सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के दौरान सबसे बड़ी उपलब्धि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना है.
अयोध्या विवाद का साल दर साल तार्किक परिणति से दूर और लाइलाज होते जाना जहां देश की व्यवस्थापिका व कार्यपालिका के ख़िलाफ़ बड़ी टिप्पणी है, वहीं न्यायपालिका के ख़िलाफ़ भी है, जिसने इन दोनों की ही तरह विवाद के ख़ात्मे के लिए ज़रूरी जीवट और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन नहीं किया.
इतिहास गवाह है कि मंदिर को लेकर माहौल बनाने से चुनावी वैतरणी पार नहीं होती.
यह वह अयोध्या नहीं है जिसको सार्वजनिक कल्पना में विहिप और भाजपा या दिल्ली के तथाकथित लिबरल्स व मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों ने स्थापित किया है. यह एक सामान्य शहर है.
देश के वामपंथी और समाजवादी बौद्धिकों ने धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का पूरा दारोमदार मंडलवादी और आंबेडकरवादी आंदोलनों पर डाल दिया लेकिन इन आंदोलनों ने देश को इतने भ्रष्ट नेता दिए कि उनके पास धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का नैतिक बल ही नहीं बचा.
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा है, 'ममता ने निडर और आक्रामक रूप से अपना रास्ता बनाया. आज वह जिस मकाम पर हैं, वह उनके संघर्ष का परिणाम है.
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के अध्यात्मिक गुरु माने जाने वाले चंद्रास्वामी के भक्तों में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रही मार्ग्रेट थैचर तक का नाम शामिल था.