दिल्ली हाईकोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें बालिग होने के बाद पीड़ित और आरोपी ने समझौता करने का फ़ैसला किया था. पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज अपराध को ख़ारिज करना क़ानून की उस भावना के विपरीत होगा, जो कि बच्चों की सुरक्षा के लिए पारित किया गया था.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्होंने पोक्सो के तहत दोषी ठहराए गए लोगों को दया प्रावधान की समीक्षा के लिए कहा है. अब यह संसद पर निर्भर करता है क्योंकि इसमें एक संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 25 जुलाई को देश के प्रत्येक जिलों में पॉक्सो के तहत मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये अदालतें उन जिलों में गठित की जाएंगी जहां यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत 100 या इससे अधिक मुक़दमे लंबित हैं. उधर, राज्यसभा में पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित. बाल यौन अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान.