एनजीओ ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ द्वारा संचालित जमशेदपुर ज़िले के एक बाल आश्रय गृह की दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर यौन उत्पीड़न सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. आश्रय गृह से 40 बच्चों को जमशेदपुर के ही दूसरे आश्रय गृह में भेजे जाने के दौरान उनमें से दो बच्चियां लापता हो गई थीं. इनका अब तक पता नहीं लग सका है.
मामला जमशेदपुर ज़िले के राज्य पंजीकृत महिला आश्रयगृह का है, जहां दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर चार सालों से यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पुलिस के अनुसार, मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है और आश्रयगृह के बच्चों को स्थानांतरित किया जा रहा है.
ओडिशा के मयूरभंज ज़िले का मामला है. गर्भवती महिला अपने पति के साथ बाइक पर स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल जा रही थीं. पति ने हेलमेट पहन रखा था, लेकिन गर्भवती महिला स्वास्थ्य कारणों से हेलमेट नहीं पहने हुई थीं. ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए महिला पुलिस अधिकारी ने उन पर जुर्माना लगा दिया था.
श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को हरियाणा की सोनीपत पुलिस द्वारा अवैध हिरासत में रखने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप है. एक औद्योगिक इकाई के ख़िलाफ़ संगठन बनाकर विरोध करने के लिए उनके ख़िलाफ़ तीन केस दर्ज किए गए थे.
केरल के कन्नूर ज़िले का मामला. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें एक व्यक्ति बता रहा था कि कैंसर से पीड़ित उनके बच्चे के लिए मृत्यु पूर्व होने वाले एक धार्मिक संस्कार को करने से स्थानीय पादरी ने इनकार कर दिया था. इसकी वजह से उन्हें बंधक बनाकर प्रताड़ित किया गया.
कोरोना संकट के दौरान देश-विदेश से महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती घरेलू हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर में बंद रहने के अलावा कोई चारा भी नहीं है. लेकिन अफ़सोस कि टीवी पर आ रहे निर्देशों में पारिवारिक हिंसा पर जागरूकता के संदेश नदारद हैं. महिलाओं पर पड़े कामकाज के बोझ को भी चुटकुलों में तब्दील किया जा चुका है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि हिंसा महज़ रणक्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और कई महिलाओं व लड़कियों के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरा तब होता है जब उन्हें अपने घरों में सबसे सुरक्षित होना चाहिए.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के 69, विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के 15, दहेज की वजह से हत्या के दो और बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैं.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के आश्रय घरों में रहने वाली लड़कियों को सज़ा के तौर पर उनके प्राइवेट पार्ट में मिर्ची डालने, शरीर पर खौलता पानी फेंकने और खाना न देने जैसे कई गंभीर मामले सामने हैं.
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले का मामला. युवक की शिकायत के बाद सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र मिश्र और हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र प्रसाद के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.
मामला लखीमपुर खीरी जिले का है. पुलिस द्वारा बरामद सुसाइड नोट में ग्राम विकास अधिकारी त्रिवेंद्र कुमार गौतम ने किसान संघ के नेताओं और दो ग्राम प्रधानों के परिवार के सदस्यों पर प्रताड़ना और जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है.
आरोप है कि जयपुर के सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय के हॉस्टल में एक रेजिडेंट डॉक्टर साक्षी गुप्ता ने अपने सीनियर्स की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की है.
'किसी समाज व शासन की सफलता इस तथ्य से समझी जानी चाहिए कि वहां नारी व प्रकृति कितनी संरक्षित व पोषित है, उन्हें वहां कितना सम्मान मिलता है.'
दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप पर हो रही सुनवाई में केंद्र ने कहा कि पश्चिमी देशों में इसे अपराध माने जाने का ये मतलब नहीं कि भारत भी आंख मूंदकर वही करे.
नोएडा के सेक्टर 78 में महागुन सोसाइटी के सामने बनीं दुकानें और झोपड़ियां तोड़ दी गईं, जिसके बाद प्रभावित लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.