जोसेफ मैकार्थी और स्टालिन दोनों दुनिया के दो अलग-अलग कोनों में भिन्न समयों और बिल्कुल उलट उद्देश्यों के लिए सक्रिय रहे हैं, लेकिन इनके कृत्यों से आज के भारत की तुलना करना ग़लत नहीं होगा.
उदारवादी बौद्धिक जमात के लिए भारत भले ही अब तक हिंदू राष्ट्र न बना हो, लेकिन गलियों में घूमनेवाले हिंदुत्ववादियों के लिए यह एक हिंदू राष्ट्र है. इसके लक्षण भले छिपे हुए हों, लेकिन इसके समर्थक और पीड़ित, दोनों ही बहुत ही स्पष्ट तरीके से इसका अनुभव कर सकते हैं.
ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी ने अपने कार्यक्रम में दावा किया था कि महुआ मोइत्रा द्वारा संसद में फासीवाद को लेकर दिया गया भाषण 'चोरी किया हुआ' था.
कनाडा यूनिवर्सिटी की छात्रा लुई सोफिया ने एक फ्लाइट में साथ में सफर कर रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तमिलिसाई सौंदर्राजन को देखकर 'फासीवादी भाजपा' का नारा लगाया था, जिसके बाद तमिलिसाई ने आरोप लगाया कि उनकी 'जान को ख़तरा' है.
दलितों और पिछड़ों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर, उन पर ‘माओवादी’ का लेबल लगाकर सरकार दलित महत्वकांक्षाओं का अपमान करती है, साथ ही दूसरी ओर दलित मुद्दों के प्रति संवेदनशील दिखने का स्वांग भी रचती है.
भारत में सब हत्या करने वाली भीड़ को ही दोष दे रहे हैं. कोई नहीं जांच करता कि बिना आदेश के जो भीड़ बन जाती है उसमें शामिल लोगों का दिमाग़ किस ज़हर से भरा हुआ है.