देशभर की विभिन्न जेलों में ऐसे हज़ारों क़ैदी बंद हैं, जिन्हें मृत्युदंड मिला है. हाल ही में आई डेथ पेनल्टी इंडिया नाम की रिपोर्ट से पता चलता है कि सज़ा-ए-मौत पाए बंदियों में से अधिकतर समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्गों से आते हैं.
मामला लखीमपुर खीरी ज़िले का है. पीड़िता के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी की आंखें निकाल दी गईं और ज़बान भी काट दी गई, पर पुलिस ने इससे इनकार किया है. मामले में दो लोगों को गिरफ़्तारी हुई है.
उत्तर प्रदेश में बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक घटना 27 जून की रात की है, जबकि चित्रकूट ज़िले के भरतकूप क्षेत्र में हुई दूसरी घटना 20 जून की है, इस मामले में 27 जून को केस दर्ज कराया गया.
मामला झारखंड के जमशेदपुर का है. 26 जुलाई को टाटानगर स्टेशन से बच्ची का अपहरण किया गया था. बच्ची के गायब होने के पांचवें दिन मंगलवार रात 9 बजे रामधीन बगान से उसकी सिर कटी नग्न लाश बरामद की गई. बच्ची का सिर अभी नहीं मिला है.
बाल अधिकार पर काम करने वाले छह संगठनों ने एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि 1994 में बच्चियों के साथ बलात्कार की 3,986 घटनाएं सामने आई थीं, जो साल 2016 में 4.2 गुना बढ़कर 16,863 हो गईं.
मंदसौर जेल अधीक्षक ने ज़िला अदालत को पत्र लिख कहा, आरोपियों के ख़िलाफ़ क़ैदियों में आक्रोश. मुख्यमंत्री शिवराज ने सीजेआई से की बलात्कार मामलों की फास्ट ट्रैक सुनवाई की मांग. सतना की चार वर्षीय बलात्कार पीड़िता को इलाज के लिए एम्स ले जाया गया. जयपुर में भी तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म हुआ.
मध्य प्रदेश के मंदसौर में 8 वर्षीय बच्ची के साथ हुए जघन्य बलात्कार को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पीड़िता के परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा हुई है. पीड़िता के पिता का कहना है कि हमें बस इंसाफ चाहिए. क़ानूनी प्रक्रिया जल्द पूरी करके दोषियों को फांसी दो.
मंदसौर जैसी भयावह घटना के आरोपी के समर्थन में चुप्पी की बात वही कर सकते हैं जो ख़ुद चुप रहते हैं और सांप्रदायिक माहौल बनाने के लिए दूसरे की चुप्पी का हिसाब करते हैं.
आरोपी के गांव वालों ने कहा, फांसी के बाद शव गांव में नहीं दफनाने देंगे. वकीलों का आरोपियों की पैरवी से इनकार. हाईकोर्ट में पीआईएल लगाकर राज्य सरकार की बर्खास्तगी की मांग. कांग्रेस ने की सीबीआई जांच की मांग.
मीडिया बोल की 46वीं कड़ी में उर्मिलेश पोक्सो क़ानून में किए गए बदलाव और मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या उस नतीजे के बारे में सोचा गया जो पीड़िता को भुगतना पड़ सकता है? बलात्कार और हत्या की सजा एक जैसी हो जाने पर कितने अपराधी पीड़ितों को ज़िंदा छोड़ेंगे?
बाल अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठन 'सेव द चिल्ड्रेन' से जुड़ीं बिदिशा पिल्लई ने कहा, ‘मौत की सज़ा समस्या का समाधान नहीं हो सकता है.’