मामला शाहजहांपुर जेल का है, जहां 21 दिसंबर को जेल परिसर में क़ैदियों को कंबल बांटने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया था. सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीर वायरल होने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
साल 2013 में आसाराम के आश्रम में पढ़ रही शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था. अप्रैल 2018 में उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. तब से आसाराम जेल में ही बंद हैं. शाहजहांपुर जेल में हुए कार्यक्रम को लेकर नाबालिग के पिता ने आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की थी.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते 9-10 दिसंबर को नौ नवजात शिशुओं की मौत हुई थी. शुक्रवार को तीन शिशुओं की मौत के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 12 हो गया है. राज्य सरकार ने इन मौतों की जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया है.
राजस्थान के कोटा शहर स्थित जेके लोन अस्पताल का मामला. पिछले साल दिसंबर महीने में भी इस अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा मचा था.
मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िला अस्पताल का मामला. ये मौतें 27 से 30 नवंबर के बीच हुई हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जांच में अस्पताल का कोई डॉक्टर या स्टाफ दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.
डिटरमाइनिंग चाइल मोर्टेलिटी इन सुंदरबन इंडिया: अप्लाइंग द कम्युनिटी नॉलेज अप्रोच’ नामक सर्वे में बताया गया है कि एक से चार साल के आयुवर्ग के बच्चों में डूबने से हुई मौत की दर प्रति एक लाख बच्चों पर 243.8 प्रतिशत है जबकि 5 से 9 साल के बीच यह दर 38.8 प्रतिशत है. इस बारे में पूछे जाने पर राज्य के सुंदरबन मामलों के मंत्री ने कहा कि उनके विभाग के पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं हैं.
संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने आगाह किया कि कोरोना और उससे निपटने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण कई समुदाय भुखमरी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने चेताया कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक परिणाम होंगे, जो व्यक्तिगत त्रासदियों को एक पीढ़ीगत तबाही में बदल सकते हैं.
लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.
यूनिसेफ ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित बच्चों को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए 1.6 अरब डॉलर की मदद मांगी है.
इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज बर्डन इनिशिएटिव नामक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 से भारत में पांच साल की उम्र तक के बच्चों में मृत्यु दर 49 प्रतिशत घटी है, लेकिन राज्यों के बीच इसमें छह गुना तक और ज़िलों में 11 गुना तक अंतर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है और कोरोना वायरस के कारण 13 अन्य देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है.
नौ बच्चों की मौत के ये मामले जम्मू स्थित उधमपुर के रामनगर ब्लॉक में दिसंबर के मध्य से 17 जनवरी के बीच सामने आए. जांच में कफ सीरप में जहरीले पदार्थ डाइथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी मिली है.
मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के वीरसिंहपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र में भी सोमवार को टीकाकरण के बाद एक माह से कम उम्र के दो नवजात बच्चों की मौत हुई है. शहडोल में सभी छह बच्चों की मौत 13 और 14 जनवरी की दरमियानी रात हुई. शिशुओं की आयु एक दिन से ढाई माह के बीच थी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते दिनों राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में एक महीने में 100 से अधिक बच्चों की मौत पर वहां की कांग्रेस सरकार, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी पर निशाना साधा था.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, गोद देने वाली संस्थाओं में एक अप्रैल 2016 से इस साल आठ जुलाई तक सबसे अधिक 124 बच्चों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई. इसके बाद बिहार में 107 और महाराष्ट्र में 81 बच्चों की मौत दर्ज की गई.