पुलिस रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सभी 21 मामलों में आरोपी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम (15 मामले) और ईसाई (छह मामले) शामिल हैं. 15 मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए आवश्यक आईपीसी की धाराओं को भी शामिल किया गया है.
मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के पलसूद तालुका का मामला. युवक पर अपनी धार्मिक पहचान छिपाने का आरोप है. बलात्कार और धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.
बीते दिनों नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पुनर्वास आयुक्त ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकारा कि विस्थापितों और प्रभावितों के आकलन में ‘टोपो शीट’ पर पेंसिल से निशान लगाने की पद्धति का इस्तेमाल किया गया. बोलचाल में नजरिया सर्वे कही जाने वाली इस तरकीब में अंदाज़े से डूबने वाली हर चीज और जीती-जागती इंसानी बसाहटों को चिह्नित कर विस्थापित घोषित कर दिया गया था.
सरदार सरोवर बांध में बारिश का पानी भरने से मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी में बसे 192 गांव और एक कस्बे के डूबने का ख़तरा है. इससे लगभग 32 हज़ार लोग प्रभावित होंगे. सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेशों के बावजूद यहां रहने वाले लोग आज भी पुनर्वास का बाट जोह रहे हैं.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव में यह अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू किया है. पाटकर ने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को सिर्फ मुआवज़ा देना नहीं बल्कि उन्हें आजीविका भी दी जानी चाहिए.
पुलिस ने शनिवार और रविवार को बड़वानी ज़िले के सेंधवा क़स्बे में संजय यादव के घर छापेमारी कर 13 पिस्तौल, 17 देसी बम और 116 ज़िंदा कारतूस ज़ब्त किए हैं.
मेधा ने कहा कि जिन लोगों ने संविधान की शपथ ली है ,वे ही संविधान के मूल्यों के खिलाफ काम कर रहे हैं. ऐसे में जनांदोलनों से जुड़े लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.
मध्य प्रदेश में लंबे संघर्ष के बाद हुए छात्रसंघ चुनावों में आदिवासी छात्र संगठन ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. 25 महाविद्यालयों में 162 छात्र प्रतिनिधियों ने परचम लहराया है, इनमें से पचास प्रतिशत लड़कियां हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध के डूब में समा रहे भादल गांव के एक बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल की व्यथा.
ग्राउंड रिपोर्ट: सरदार सरोवर बांध के पानी में डूब रहे मध्य प्रदेश के भादल गांव के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने बांध में पानी छोड़ दिया लेकिन हमें कहीं नहीं बसाया.
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए नए सिरे से आंदोलन शुरू करने के बारे में विचार करूंगी.’
जिस नर्मदा पर बने बांध का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया, उसी नदी में अपने पुनर्वास को लेकर मध्य प्रदेश के सैकड़ों लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश के मीडिया में सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आए निसरपुर के विस्थापन का शोर 2004 के हरसूद जैसा नहीं है, जबकि चैनल और अख़बार पहले से कहीं ज़्यादा हैं.
गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों ने उचित मुआवज़ा और पुनर्वास स्थलों में सुविधाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.