संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश मसौदा प्रस्ताव पड़ोसी एवं क्षेत्रीय देशों से सलाह किए बगैर जल्दबादी में लाया गया. यह न सिर्फ़ ग़ैर-मददगार है, बल्कि म्यांमार में मौजूदा स्थिति का समाधान तलाशने के लिए आसियान के प्रयासों के प्रतिकूल भी साबित हो सकता है.
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की नज़रबंदी पर चिंता जताई है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट द्वारा जारी ‘भारत के पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में पलायन के लिहाज़ से भारत दुनिया का चौथा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया है. चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश में पिछले साल सर्वाधिक पलायन हुआ. प्रत्येक देश में 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
'ग़रीबी हटाओ' के नारे के साथ उस साल इंदिरा की जीत ने कांग्रेस को नई ऊर्जा से भर दिया था. 1971 एक ऐतिहासिक बिंदु था क्योंकि इंदिरा गांधी ने लक्ष्य और दिशा का एक बोध जगाकर सरकार की संस्था में नागरिकों के विश्वास की बहाली का काम किया.
पटना हाईकोर्ट पिछले कई वर्षों से एक आफ्टर केयर होम में रखे गए पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार दो महिला बांग्लादेशी प्रवासियों- मरियम ख़ातून और मौसमी ख़ातून की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने डिटेंशन सेंटर और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर केंद्र और बिहार सरकार से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बांग्लादेश के गरीब लोग भारत आते हैं, क्योंकि अब भी उन्हें अपने देश में खाने के लिए पर्याप्त नहीं मिलता है. अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में आई तो बांग्लादेश से घुसपैठ रोक दी जाएगी. इस पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा कि शाह का ज्ञान सीमित है.
टीएमसी का आरोप है कि प्रधानमंत्री की दो दिवसीय यात्रा का बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने या ‘बंगबंधु’ के जयंती समारोहों में शामिल होने से कोई लेना-देना नहीं था. इसके बजाय उनका एकमात्र मक़सद पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान को प्रभावित करने का था.
एक देश में अल्पसंख्यकों पर हमले के विरोध के दौरान जब उसी देश के अल्पसंख्यकों पर हमला होने लगे तो शक़ होता है कि यह वास्तव में किसी नाइंसाफी के ख़िलाफ़ या बराबरी जैसे किसी उसूल की बहाली के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे भी एक बहुसंख्यकवादी द्वेष ही है.
हाल ही में पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने की पचासवीं वर्षगांठ पर होने वाले एक पांचदिवसीय सम्मलेन को रद्द कर दिया गया. इस बारे में पाकिस्तान के पत्रकार वुसतुल्लाह ख़ान का नज़रिया.
भारतीय इतिहास में 1971 एक ऐसे साल के तौर पर दर्ज है, जब मुश्किल यथार्थ के बीच भी भारत ने अपने बारे में अच्छा महसूस किया. यह सिर्फ उम्मीद का साल नहीं था, भारत में छिपे जीत के जज़्बे की आत्मपहचान का वर्ष भी था.
एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने की राजनीतिक असफलता के कारण अकेले दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में विस्थापन होगा और यह क्षेत्र बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं से जूझेगा.
साल हुआ, संसद ने एक झूठ पर मुहर लगाई. एक साल झूठ का, धोखाधड़ी, क्रूरता और हिंसा का. एक साल सच्चाई का, ईमानदारी, सद्भाव और अहिंसा का.
बीएसएफ और एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत छोड़ते हुए पकड़े गए बांग्लादेश के नागरिकों की संख्या अवैध तरह से देश में प्रवेश करने वालों की संख्या से दोगुनी रही है.
हाल ही में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत को 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर रखा गया है और देश भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है.
वैश्विक भूख सूचकांक, 2020 में भारत पड़ोसी देशों- बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में हैं. वहीं, नेपाल और श्रीलंका की स्थिति इन देशों की तुलना में ठीक है. सूची में ये ‘मध्यम’ श्रेणी में हैं.