आधार क़ानून को एक धन-विधेयक के तौर पर पारित किया गया था और इसका संबंध सिर्फ़ भारत की संचित निधि से जुड़ी चीज़ों से होना चाहिए. लेकिन, क्या कोई व्यवस्था के भीतर इस बात पर ध्यान देता है?
कंपनियों द्वारा खाता और नंबर बंद करने की धमकी से इनकार करने पर न्यायमूर्ति ने कहा, मैं मीडिया की उपस्थिति में कहना नहीं चाहता, लेकिन मुझे भी ऐसे संदेश मिल रहे हैं.
न्यायालय ने आधार क़ानून की वैधानिकता को चुनौती देने और बैंक खातों तथा मोबाइल नंबरों को आधार से जोड़ने के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा.