दूरदर्शन का यह धारावाहिक बेहद सहज तरीके से सेक्स एजुकेशन, बच्चों में अंतर रखने और घरेलू हिंसा जैसे विषयों पर जानकारी दे रहा है. इसे अब तक 40 करोड़ से ज़्यादा दर्शकों ने देखा है.
चंद्रशेखर ने कहा था, ‘हां, मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन, चे ग्वेरा की तरह मौत.’ उनके दोस्त कहते हैं कि चंदू ने अपना वायदा पूरा किया.
लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.
विशेषज्ञों का मानना है कि फरक्का बैराज परियोजना से जितना फायदा हुआ उससे कई गुना ज़्यादा नुकसान हो चुका है. इसका कोई समाधान न निकाला गया तो व्यापक तबाही के लिए तैयार रहना होगा.
फरक्का बैराज का निर्माण जिस तरह राजनीतिक कारणों से किया गया था. उसी तरह की राजनीति अब इसे हटाने को लेकर हो रही है.
शराबबंदी नीतीश कुमार के एक-डेढ़ दशकों की राजनीति की बड़ी उपलब्धि नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के अवसान का सूचक है.
बदलते दौर के भौतिक चमक-दमक को तो भोजपुरी सिनेमा खूब दिखाता है, पर सामाजिक -सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ता से नहीं भिड़ता. वह एक बड़े विभ्रम का शिकार है.
हाल ही में आए एक शोध में दावा किया गया है कि 1995 में मुजफ्फरपुर में हुई बच्चों की मौत का कारण लीची थी. हालांकि इस दावे पर तमाम सवाल उठ गए हैं.