ग्राउंड रिपोर्ट: राजस्थान के बूंदी ज़िले का बुधपुरा गांव कॉबल यानी फर्श पर लगाए जाने वाले पत्थरों के लिए जाना जाता है. पत्थर के खदानों से निकले मलबे से कॉबल बनाने के काम की स्थिति ये है कि एक बार जब मज़दूर यहां काम करना शुरू कर देता है, तो ठेकेदारों के चंगुल में फंसकर कभी यहां से निकल नहीं पाता.
राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 33 ज़िलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं. इसका मतलब है कि आधे से ज़्यादा राज्य में ज़मीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है.
ग्राउंड रिपोर्ट: राजस्थान के कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ ज़िले के किसानों को दिनभर कतार में लगने के बाद मुश्किल से एक कट्टा खाद नसीब हो रहा है. कई जगह तो किसानों का जमावड़ा इतना ज़्यादा है कि पुलिस के पहरे में खाद बांटना पड़ रहा है.
राजस्थान के बूंदी ज़िले के किसानों का कहना है कि कई बार प्रशासन से नहर का पानी पहुंचाने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. फसलों को पानी की ज़रूरत है. अगर पानी नहीं मिला तो वे सूख जाएंगी.