11 दिन तक चले युद्ध के बाद इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष विराम पर बनी सहमति

इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.

इज़रायल के हमले में गाज़ा स्थित 12 मंज़िला मीडिया टावर ध्वस्त, 47 बच्चों सहित 174 लोगों की मौत

रविवार को इजरायल ने गाजा में पिछले एक हफ़्ते में सबसे घातक हमला किया, जिसमें आठ बच्चों सहित 26 फ़लस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई. इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार शाम को कहा कि जब तक ज़रूरत पड़ेगी तब तक यह अभियान जारी रहेगा.

इज़रायल के हमले में गाज़ा में 39 बच्चों सहित 139 लोगों की मौत

इज़राइल और उग्रवादी संगठन हमास के बीच जारी लड़ाई के दौरान वेस्ट बैंक में भी फ़लस्तीनियों ने व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन किया और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई शहरों में इज़राइली सेना के साथ झड़प की. इस दौरान इज़राइली सेना की कार्रवाई में कम से कम 11 लोग मारे गए हैं.

इज़राइल के हमले में बच्चों और महिलाओं समेत 26 फ़लस्तीनी नागरिकों की मौत

यरुशलम के यहूदी और मुस्लिम लोगों के पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इज़राइली सुरक्षा बलों और फ़लस्तीनी नागरिकों के बीच टकराव और फ़लस्तीनी तथा इज़राइली सुरक्षा बलों के संघर्ष के बाद ये घटनाक्रम हुआ है. हिंसा का कारण यरुशलम पर फ़लस्तीन और इज़राइल दोनों द्वारा दावा जताना है.

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पत्नी सरकारी धन के दुरुपयोग की दोषी करार

बेंजामिन नेतन्याहू की पत्नी सारा नेतन्याहू को भोजन के लिए आवंटित सरकारी धन का गलत तरह से इस्तेमाल करने के मामले में दोषी ठहराया गया है. सज़ा के तौर पर उन पर कुल 15,200 डॉलर का जुर्माना लगा है.

यूएन: पहली बार फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठन के ख़िलाफ़ भारत ने इज़रायल के पक्ष में किया वोट

यह पहली बार है जब भारत ने दशकों पुराने दो देशों वाले सिद्धांत से अपने क़दम पीछे खींच लिए हैं. दो देशों के सिद्धांत के तहत अब तक भारत इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों को अलग और स्वतंत्र देशों के रूप में देखता रहा है.

इज़रायल नीति में बदलाव से क्या ​हासिल होगा?

मैं यह नहीं कहना चाहता कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को कभी इज़रायल नहीं जाना चाहिए. लेकिन ये यात्रा कुछ इस तरह से हुई जैसे अरब कहीं है ही नहीं और फिलिस्तीनी देश बस एक मिथक है. उस पवित्र ज़मीन की एकमात्र हकीकत इज़रायल, इज़रायल और सिर्फ इज़रायल है.