शहीद अधिकारी हेमंत करकरे पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान से नाराज़ करकरे के पूर्व सहयोगी ने भोपाल लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाख़िल किया.
मध्य प्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि भगवा कभी आतंकवाद नहीं होता, भगवाधारण करने वाला कभी आतंकवादी नहीं होता.
टिकट नहीं मिलने से नाराज़ उदित राज के कांग्रेस में शामिल होने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
मालेगांव धमाके की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी भोपाल से अपना नामांकन दाख़िल किया. डमी उम्मीदवार को लेकर मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कहीं आधिकारिक उम्मीदवार का नामांकन किसी तकनीकी या क़ानूनी वजहों से रद्द होता है तो पार्टी के पास विकल्प मौजूद हो.
प्रज्ञा ठाकुर ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि राम मंदिर हम बनाएंगे और भव्य बनाएंगे, हम तोड़ने गये थे ढांचा, मैंने चढ़कर तोड़ा था ढांचा, इस पर मुझे भयंकर गर्व है. मुझे ईश्वर ने शक्ति दी थी, हमने देश का कलंक मिटाया है.
मालेगांव बम धमाके की आरोपी और भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, ‘हमारे प्रभु राम जी के मंदिर में अपशिष्ट पदार्थ थे हमने उनको हटा दिया. हम गर्व करते हैं इस बात पर हमारे देश का स्वाभिमान जागा है. प्रभु राम का भव्य मंदिर भी बनाएंगे.’
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि हेमंत करकरे आतंकवादियों से मुक़ाबला करते हुए शहीद हो गए और उनकी शहादत का अपमान करना शर्मनाक है.
मालेगांव धमाका मामले की आरोपी और भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बोला था, ‘हेमंत करकरे से मैंने कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा.’
आईपीएस एसोसिएशन ने भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को 'श्राप' देने वाले बयान की निंदा की है.
2008 में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर टिप्पणी करते हुए भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि जब मैं वहां गई तो इसके सूतक लग गया, सवा महीने बाद जब इसे आतंकवादियों ने मारा, तब उसका अंत हुआ.
लोग कह रहे हैं कि इस चुनाव में भाजपा का भरोसा छूट रहा है, उसने साध्वी को लाकर ब्रह्मास्त्र चलाया है. यह परीक्षा वास्तव में भाजपा की नहीं है, यह हिंदुओं का इम्तिहान है. क्या वे धर्म के इस अर्थ को स्वीकार करने को तैयार हैं?