मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ख़ुद के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी देते हुए जनता से सावधान रहने की अपील की है. उन्हें भोपाल के कोविड-19 के लिए अधिकृत चिरायु अस्पताल में भर्ती किया गया है.
संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के मुताबिक किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में कुल मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री समेत उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में इसका उल्लंघन हुआ है.
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार बनने के तीन महीने बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के कई नेता अपनी नाराज़गी जता चुके हैं. जानकारों का कहना है कि यह फ़ैसला उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. नतीजों के बाद की परिस्थितियों में मंत्रिमंडल में फिर से फेरबदल होगा.
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान ने करीब तीन महीने बाद पूर्ण कैबिनेट का गठन किया है. इसमें 16 भाजपा विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 12 विधायकों को शामिल किया गया है.
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता भंवरसिंह शेखावत ने आरोप लगाया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यह सुनिश्चित किया था कि पार्टी को कम से कम सीटें मिलें, ताकि पिछले 13 सालों से राज्य की सत्ता के शीर्ष पर क़ाबिज़ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाया जा सके.
संविधान का अनुच्छेद 164 (1 ए) मुख्यमंत्री समेत कम से कम 12 मंत्रियों के मंत्रिमंडल की बात करता है, लेकिन बीते दो महीनों से शिवराज सिंह चौहान केवल पांच मंत्रियों के साथ सरकार चला रहे हैं. कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि मंत्रिमंडल विस्तार करने पर मंत्री न बन सकने से असंतुष्ट विधायक आगामी राज्यसभा चुनाव में कहीं क्रॉस-वोटिंग न कर दें.
नए शपथ लेने वाले मंत्रियों में 14 मंत्री कांग्रेस के, नौ मंत्री जेडीएस से और एक-एक मंत्री बसपा और केपीजेपी से हैं. अब मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 27 हो गई है.