योगी सरकार के अंतरधार्मिक विवाहों को निशाना बनाने के पीछे मनु के आदर्श फैलाने की मंशा है

योगी आदित्यनाथ सरकार के नए क़ानून का उद्देश्य केवल ध्रुवीकरण नहीं बल्कि स्त्रियों को उनके अधिकारों और अपने लिए निर्णय लेने की उनकी क्षमता से उन्हें वंचित करना भी है.

‘लव जिहाद’ को लेकर हो रही राजनीति संघी मनुवाद का नया संस्करण है

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया ‘लव जिहाद' कानून और कुछ नहीं मनुस्मृति का ही नया रूप है, जो महिलाओं को समुदाय की संपत्ति मानकर ग़ुलाम बनाता है और संघर्षों से हासिल किए हुए अधिकारों को फिर छीन लेना चाहता है. यह जितना मुस्लिम विरोधी है, उतना ही हिंदू महिलाओं और दलितों का विरोधी भी है.

मनु का क़ानून और हिंदू राष्ट्र के नागरिकों के लिए उसके मायने

हिंदू राष्ट्र का ढांचा और उसकी दिशा मनुस्मृति में बताए क़ानूनी ढांचे के अंतर्गत ही तैयार होंगे और ये क़ानून जन्म-आधारित असमानता के हर पहलू- सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक, सभी को मज़बूत करने वाले हैं.

केबीसी: मनुस्मृति से जुड़े सवाल पर विवाद, भाजपा विधायक द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई

कौन बनेगा करोड़पति में डॉ. बीआर आंबेडकर द्वारा एक धर्मग्रंथ की प्रतियां जलाए जाने के संबंध में सवाल पूछा गया था, जिसके सभी विकल्प हिंदू धर्मग्रंथों से संबंधित थे. महाराष्ट्र में भाजपा विधायक अभिमन्यु पवार ने पुलिस से की गई शिकायत में कहा है कि सभी विकल्प हिंदू धर्म से संबंधित होने का उद्देश्य हिंदुओं की भावनाएं आहत करना था.

अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों की काट के लिए गुजरात के ‘खाम’ को दोहराना होगा

गुजरात का विकास मॉडल एक भ्रम था. गुजरात दंगों के बाद मुस्लिम को अलग-थलग करने का जो प्रयोग शुरू हुआ, मोदी-शाह उसी के सहारे केंद्र में सत्ता में आए. आज यही गुजरात मॉडल सारे देश में अपनाया जा रहा है. 370 का मुद्दा उसी प्रयोग की अगली कड़ी है, जिसे मोदी शाह महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में भुनाने जा रहे हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट में लगी मनु की प्रतिमा एक बार फिर विवादों में क्यों है

मनु की प्रतिमा को हाईकोर्ट परिसर से हटाने की याचिकाएं वर्ष 1989 से लंबित हैं, जिन पर 2015 के बाद से सुनवाई नहीं हुई है. सोमवार को औरंगाबाद की दो महिलाओं के प्रतिमा पर कालिख पोतने के बाद मामला फिर गर्मा गया है.

हिंदुत्ववादियों का मनुस्मृति से ‘मोह’ छूट नहीं रहा है

भारत द्वारा संविधान अपनाए हुए सत्तर साल बीत चुके हैं. डॉ. आंबेडकर के मुताबिक इसने ‘मनु के शासन की समाप्ति की थी.’ लेकिन हिंदुत्ववादियों के बीच आज भी उसका सम्मोहन बरक़रार है.

दीनदयाल उपाध्याय: जो मुसलमानों को समस्या और धर्मनिरपेक्षता को देश की आत्मा पर हमला मानते थे

अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.

हमारे समाज को आजकल इतना गुस्सा क्यों आ रहा है?

तकनीक के अधकचरे इस्तेमाल ने दरअसल एक अधकचरी पढ़ी-लिखी हिंसा को भी जन्म दिया है. इस हिंसा का शिकार हर वैसा वर्ग और व्यक्ति हो रहा है, जो एक मदमाती सत्ता से सवाल पूछता है.