केंद्र सरकार ने कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर वाले इलाकों के लिए प्रभावी दिशानिर्देशों को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया है. साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चरणबद्ध तरीके से स्कूल और कोचिंग संस्थान खोलने पर फ़ैसला करने की अनुमति दी गई है.
कोरोना वायरस महामारी के दौरान त्योहारी मौसम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भीड़भाड़ वाले आयोजनों के लिए दिशानिर्देश जारी किए. इसके अनुसार, रैलियों और विसर्जन जुलूसों में लोगों की संख्या निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए और सामाजिक दूरी तथा मास्क पहनना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
अनलॉक-5 के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कैंटोनमेंट जोन के बाहर 15 अक्टूबर के बाद विशेष छूट के साथ 200 लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति देने का अधिकार होगा. नए दिशानिर्देश बिहार में 27 अक्टूबर से तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आए हैं.
कोरोना महामारी के रोकथाम के मद्देनज़र देश में सिनेमाघर बंद हैं. मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से इन्हें खोलने की अपील करते हुए कहा है कि इस क्षेत्र को पिछले छह महीने में 9,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है.
मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि सिनेमा उद्योग देश की संस्कृति का न सिर्फ अंतर्निहित हिस्सा है, बल्कि अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा भी है जिससे लाखों लोगों की आजीविका चलती है.
डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आईटी मंत्रालय के तहत आते हैं. अब इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.
कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू लॉकडाउन के बीच अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ सिनेमाघरों की बजाय सीधे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हो रही है. कुछ और फिल्में हैं, जो अब सीधे इन्हीं प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ होने वाली हैं. ऐसे में बंदी के दौर से गुज़र रहे सिनेमाघरों के सामने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने नया संकट खड़ा कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थों के मूल्य नियंत्रण के संबंध में सरकार से हस्तक्षेप करने को कहा था. सरकार ने तर्क दिया कि इससे अव्यवस्था या सुरक्षा संबंधी मसले पैदा हो सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में भी ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई हो रही है.
सिनेमाघरों या मल्टीप्लेक्सों में बाहर से खाना ले जाने के संबंध में एक अगस्त से लागू हो सकता है नियम. नियम का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई. महाराष्ट्र के खाद्य आपूर्ति मंत्री ने राज्य सरकार के इस क़दम की पुष्टि की.
मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थ ले जाने पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ लगाई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा कोई क़ानूनी या संवैधानिक प्रावधान नहीं है जो थिएटर के अंदर अपनी भोजन सामग्री या पानी ले जाने से रोकता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सिनेमाघरों में बिकने वाले खाने के सामान और पानी की बोतलों की कीमत बहुत ज़्यादा होती है. हमने ख़ुद ही यह अनुभव किया है. सिनेमाघरों को इन्हें सामान्य क़ीमतों पर बेचना चाहिए.
बदलते दौर के भौतिक चमक-दमक को तो भोजपुरी सिनेमा खूब दिखाता है, पर सामाजिक -सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ता से नहीं भिड़ता. वह एक बड़े विभ्रम का शिकार है.