मेजर जनरल गौतम चौहान ने दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में अतिरिक्त महानिदेशक (मानवाधिकार) के रूप में पदभार ग्रहण किया है. पूर्वोत्तर क्षेत्र और जम्मू कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में इस तरह के अभियान के दौरान सशस्त्र बलों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं.
महाराष्ट्र की नासिक जेल में बीते सात अक्टूबर को 31 वर्षीय क़ैदी का शव फंदे से लटका मिला था. पोस्टमार्टम में उनके पेट से पॉलीथिन में बंधा सुसाइड नोट पाया गया, जिसमें उन्होंने पांच जेल अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जेल के छह अन्य क़ैदियों ने भी प्रशासन द्वारा उत्पीड़न की बात कही है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष (रिटा.) जस्टिस एचएल दत्तू ने बताया कि एक अक्टूबर 2019 से इ 30 सितंबर 2020 तक आयोग ने 73,729 शिकायतें दर्ज की हैं.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि इस महामारी से सामना करने के लिए राज्यों को अतिरिक्त शक्तियों की आवश्यकता है. हालांकि अगर कानून के शासन को बरकरार नहीं रखा जाता है तो ये महामारी एक मानवाधिकार आपदा में तब्दील हो जाएगी.
दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स ने अमेरिकी सदन में कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गो-रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रदत्त कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.
इस्लामिक सहयोग संगठन का 46वां सत्र शनिवार को अबू धाबी में समाप्त हो गया. भारत ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया था.
'क्रिमिनल जस्टिस इन द शैडो ऑफ कास्ट' नाम से प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये तथ्य बताते हैं कि पुलिस द्वारा दलित और आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है.
जहां एक ओर कांग्रेस के लिए यह नक्सल समस्या को सुलझाने का एक नया मौका है, वहीं राहुल गांधी के लिए यह साबित करने का अवसर है कि वे और उनकी पार्टी वास्तव में देश के आदिवासियों की चिंता करते हैं.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जेल अधिकारी जेलों के क्षमता से अधिक भरे होने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. ऐसी कई जेलें हैं जो क्षमता से 100 फीसद तथा कुछ मामलों में तो 150 फीसद से अधिक भरी हैं.
थियानमेन चौक नरसंहार के 28 साल से भी ज़्यादा समय बाद यह दस्तावेज़ सार्वजनिक किया गया. यह दस्तावेज़ ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज़ में पाया गया.