पत्रकार आशीष सागर पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में केन नदी में अवैध बालू खनन की रिपोर्टिंग कर रहे हैं. आरोप है कि ज़िले के पैलानी क्षेत्र की अमलोर मौरम खदान से नियमों का उल्लंघन कर बालू निकाला जा रहा है, जिसके चलते नदी एवं पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है. इस संबंध में ज़िला प्रशासन से शिकायत की गई है. वहीं इलाके के एसडीएम का कहना है कि अवैध खनन नहीं हो रहा है.
बीते दिनों नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यधारा के टीवी मीडिया और इसके डिजिटल मंचों को नये आईटी नियमों से बाहर रखने की मांग की थी. इस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि नियमों से कुछ को छूट देना उन डिजिटल समाचार प्रकाशकों के साथ भेदभाव होगा, जिनके पास पहले से टीवी या प्रिंट मंच नहीं है.
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की नज़रबंदी पर चिंता जताई है.
भाजपा नेता अजय श्याम ने हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले के कुमारसैन थाने में पिछले साल विनोद दुआ के ख़िलाफ़ राजद्रोह समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि विनोद दुआ ने अपने यूट्यूब कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने वोट लेने के लिए ‘मौतों एवं आतंकी हमलों’ का इस्तेमाल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि मीडिया के संदर्भ में राजद्रोह क़ानून की सीमाएं तय करने की
दिग्गज सोशल मीडिया मंचों और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया के साथ नये नियमों को लेकर विवादास्पद बहस ऐसे मौके पर हो रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आलोचनाओं के दमन में लगी सरकार ने टेक कंपनियों से दो-दो हाथ कर खु़ुद को अपने ही बुने चक्रव्यूह में फंसा लिया है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.
बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए इसके अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जा सकता है. इसे लेकर चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपना एक अलग हलफ़नामा तैयार कर इस्तीफ़ा देने को कहा था. आयोग ने इसे ख़ारिज कर दिया.
गोमती नगर के सन हॉस्पिटल ने तीन मई को एक नोटिस में रोगियों के परिजनों से ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके मरीज़ को अस्पताल से शिफ्ट करने की बात कही थी. इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने अस्पताल पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर 'झूठी ख़बर' फैलाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया है. अस्पताल ने कहा है कि वे इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाएंगे.
मद्रास हाईकोर्ट ने बीते 26 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए ‘अकेले’ ज़िम्मेदार क़रार दिया था और कहा था कि वह ‘सबसे ग़ैर ज़िम्मेदार संस्था’ है. इन टिप्पणियों को हटाने के लिए आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को रुख़ किया था.
यह कार्यशाला ऐसे समय आयोजित की गई है, जब कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण संक्रमण और मौत के मामलों बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है. इसे लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. इसका आयोजन सरकारी मंच माईजीओवी (MyGov) की ओर से किया गया, जिसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी हिस्सा लिया.
घटना रायबरेली की है, जहां कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया था कि ज़िले में स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान 20 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन पड़ोसी ज़िले कानपुर भेजी गई. ज़िला प्रशासन ने तीन स्थानीय पत्रकारों को नोटिस जारी कर उन जानकारियों का स्रोत पूछा है, जिसके आधार पर ख़बरें लिखी गई थीं.
कोविड प्रबंधन पर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा चुनाव आयोग पर की गई टिप्पणियों को लेकर आयोग की याचिका पर शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकतंत्र तभी जीवित रहता है जब उसके संस्थानों को मजबूत किया जाता है. हमें सुनिश्चित करना होता है कि जज अपने विचार रखने के लिए पर्याप्त स्वतंत्र हों. साथ ही अदालत में होने वाली हर बात को मीडिया रिपोर्ट करे ताकि जज गरिमा से अदालती कार्यवाही करें.
स्मृति शेष: दुनिया के हर देश के किसी भी सामान्य मीडिया संस्थान में मुरली जैसे लोग होते हैं. ये स्वतंत्र प्रेस के अनदेखे-अनसुने नायक होते हैं, जिनकी मेहनत के चलते पत्रकार वो कर पाते हैं, जो वो करते हैं. उनके लिए कोई अवॉर्ड, कोई सराहना नहीं होती पर रिपोर्टर द्वारा संस्थान को मिल रहे सम्मान को वे अपना समझकर संजोते हैं.
सोशल मीडिया पर सुमित्रा महाजन के निधन की अफ़वाह के संबंध में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अज्ञात आरोपी के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी महाजन के निधन की ग़लत ख़बर अपने ट्विटर खाते पर साझा कर दी थी. बाद में उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर माफ़ी मांगी है.
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि महामारी के मुश्किल दौर में ऐसी ख़बरें भी दिखाई जानी चाहिए, जिनसे समाज में सकारात्मक माहौल बन सके. हर 100 साल में एक बार महामारी आती है. ऐसे समय में आप यह भी दिखाएं कि डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ किस तरह लगातार काम कर रहे हैं.