न्यूज़ चैनल हर विषय पर दलीय प्रवक्ताओं की भीड़ क्यों इकट्ठा करना चाहते हैं? क्या वे राजनीतिक दलों, ख़ासकर सत्ताधारी दल को हर मुद्दे पर अपना फोरम मुहैया कर खुश रखने की कोशिश करते हैं?
परेश रावल ने कहा, 'अगर उन्हें सेना की जीप से बांधा जाता तो पथराव करने वाला कोई भी व्यक्ति उन पर हमला नहीं करता क्योंकि वह उनकी विचारधारा का समर्थन करती हैं.'
हम अक्सर किसी टिप्पणी या दलील को महज़ इसलिए स्वीकार कर लेते हैं, क्योंकि वे हमारी परंपरागत मान्यताओं के अनुरूप होती हैं. ऐसा करते वक़्त हम न तो इनके पीछे के तर्कों की परवाह करते हैं, न दावों की प्रामाणिकता जांचने की ज़हमत उठाते हैं.
रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में दिए भाषण में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश में निर्णय लेने की प्रक्रिया में बातचीत और असहमति ज़रूरी हैं.
पर्दे और पन्नों पर बार-बार उभरता रहा है- जंगलराज! लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार क्या बदली, मीडिया का वह ‘जंगलराज’ ग़ायब हो गया!
परेश रावल और उनके समर्थकों का कहना था कि उनका गुस्सा अरुंधति रॉय की कश्मीर पर की गई हालिया टिप्पणी पर था. पर असलियत ये है कि अरुंधति ने ये टिप्पणी कभी की ही नहीं थी.
कश्मीर के मामले में मोदी सरकार ने न तो पहले की सरकारों की विफलताओं से कोई सबक लिया और न ही कामयाबियों से.
सीजीनेट स्वर जन पत्रकारिता में क्षेत्र में काम करने वाला एनजीओ है. ये आदिवासियों को समस्याओं को उन्हीं की भाषा में रिकॉर्ड करके ब्लूटूथ के ज़रिये प्रसारित करता है. सीजीनेट स्वर के संस्थापक शुभ्रांशु चौधरी से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
पश्चिमोत्तर दिल्ली के पार्क में टहलने गईं महिला पत्रकार पर अज्ञात लोगों ने हमला किया है. उनके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं. एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.
राज्यसभा में चुनाव सुधार पर केंद्रित लंबी चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने भारत में मीडिया की अंदरूनी संरचना और उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए.
राज्यसभा सांसद शरद यादव ने यह भाषण 22 मार्च 2017 को राज्यसभा में दिया. सदन में चर्चा के दौरान अपनी बात रखते हुए शरद यादव ने देश में पत्रकारिता की दशा और दिशा पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. पढ़ें पूरा भाषण...
एंटी रोमियो दस्ते के किसी को प्रेम हो जाए तो प्रेम की तड़प में वे किसी पुराने कुर्ते की तरह चराचरा कर फट जाएंगे. दुआ करूंगा कि इस दस्ते को कभी किसी से प्यार न हो. प्रार्थना करूंगा कि उन्हें कम से कम किशोर कुमार के गाने सुनने की सहनशक्ति मिले.
शीर्ष अदालत ने कहा, यह मीडिया की स्वतंत्रता और आज़ादी को सीमित करने का चोरी-छिपे किया जा रहा प्रयास है. यह मीडिया पर हमला है.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती हमेशा से अपने समर्थकों से 'मनुवादी मीडिया' से सावधान रहने की अपील करती रही हैं. वे अपनी रैलियों में लगातार मीडिया पर सवाल उठा रही हैं. क्या मीडिया उनकी पार्टी के प्रति भेदपूर्ण बर्ताव करता है?
यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को पश्चिमी यूपी में जो समर्थन मिल रहा है, क्या दैनिक जागरण एक्जिट पोल प्रकाशित करके उसे बेअसर करने की कोशिश कर रहा है?