प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया के साथ मेक फॉर वर्ल्ड का नारा दिया, कहा- आत्मनिर्भर भारत ज़रूरी

नई दिल्ली स्थित लाल क़िले की प्राचीर से 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की रूपरेखा पेश करते हुए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान, हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजना समेत कई घोषणाएं कीं.

101 रक्षा हथियारों के आयात पर रोक, लेकिन मेक-इन-इंडिया क्यों हुआ नाकाम?

वीडियो: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ मुहिम के तहत 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस मुद्दे पर डिफेंस पत्रकार राहुल बेदी से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

प्रधानमंत्री जी! मोबाइल कंपनियां 120 हो गई हैं तो रोज़गार कितनों को मिला?

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है कि 2014 के पहले देश में मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं, आज मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की संख्या 120 हो गई है. सवाल है कि कंपनियों की संख्या 2 से 120 हो जाने पर कितने लोगों को रोज़गार मिला?

सोशल मीडिया पर राजनीतिक संवाद तर्क पर कम और मन के विश्वास पर ज़्यादा आधारित है

मुद्दा ये नहीं है कि आप किसका समर्थन करते हैं. आप बिल्कुल उन्हीं को चुने जिसका आपको मन है, लेकिन ये उम्मीद ज़रूर है कि आप अपने विवेक पर पर्दा न डालें.

सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ समारोह ने मुंबई तट को नुकसान पहुंचाया: बॉम्बे हाईकोर्ट

दक्षिणी मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर 2016 में हुए 'मेक इन इंडिया' समारोह के चलते समुद्री तट को काफी नुकसान हुआ है. अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करने को भी कहा है.

68 फीसदी सैन्य उपकरण संग्रहालय में रखने लायक: संसदीय समिति

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद ने समिति से कहा कि 2018-19 के बजट ने हमारी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है. 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन सेना के आधुनिकीकरण के लिए अपर्याप्त है.

प्रधानमंत्री जी! पकौड़े बेचकर रोज़ 200 रुपये कमाना रोज़गार नहीं

किसी बेरोज़गार के लिए दो वक़्त की रोटी का इंतज़ाम करने वाली कोई भी कमाई सांत्वना देने वाली होगी, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें गर्व का अनुभव नहीं कर सकते, न ही उन्हें करना चाहिए.

नफ़रत की राजनीति भारत को बांट रही है: राहुल गांधी

वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.