सिर पर मैला ढोने की प्रथा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्यों को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 1993 के बाद से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम पर रखे गए सिर पर मैला ढोने वाले लोगों की संख्या के बारे में स्थिति रिपोर्ट दायर करने को कहा था. हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि 40 से अधिक राज्यों में से केवल 13 ने ही हलफ़नामा दाख़िल किया है.

देश में हाथ से मैला ढोने वाले 66 हज़ार से अधिक लोगों की पहचान की गई: सरकार

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा कि पिछले पांच सालों में नालों और टैंकों की सफाई के दौरान 340 लोगों की जान गई है.

बजट 2021: मैला ढोने वालों के पुनर्वास फंड में 73 फीसदी की कटौती

मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए पिछले साल 110 करोड़ रुपये का बजट आवंटित हुआ था, लेकिन अब इसे कम करके 30 करोड़ रुपये कर दिया गया है. केंद्र ने ये कदम ऐसे समय पर उठाया है जब मैला ढोने वालों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है.

दिल्ली: शाहदरा में एक सफाईकर्मी की मौत, दूसरे की हालत गंभीर

पुलिस ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने सफाई की जिम्मेदारी एक निजी कांट्रैक्टर को सौंपा था. अपनी शिकायत में कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने जब सुरक्षा उपकरण मांगे तक कथित तौर पर कांट्रैक्टर ने मना कर दिया. दोनों सफाईकर्मियों के बेहोश होने के बाद पुलिस के आने से पहले कांट्रैक्टर वहां से भाग गया.

बेंगलुरु में सीवर सफाई के दौरान दम घुटने से 17 साल के बच्चे की मौत

बच्चे को बचाने गए 50 वर्षीय मारिआन्ना की हालत बहुत गंभीर है और वो अस्पताल में भर्ती हैं. मामले में अभी एफआईआर दर्ज की जानी बाकी है.

दिल्ली: सीवर सफाई के दौरान बीमार पड़े तीन में से एक सफाईकर्मी की मौत

बीते 23 नवंबर को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के शकूरपुर में सीवर की सफाई करने उतरे एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और तीन अन्य बेहोश हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में एक ठेकेदार और एक निजी सुपरवाइज़र को गिरफ्तार कर लिया था.

दिल्ली में सीवर की सफाई करने उतरे एक व्यक्ति की मौत, दो गिरफ्तार

दिल्ली के लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येंद्र जैन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और मृतक सफाईकर्मी के परिवार को दस लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है.

सीवर में मौत: क़रीब 50 फीसदी पीड़ित परिवारों को ही मिला 10 लाख का मुआवज़ा

विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1993 से साल 2019 तक महाराष्ट्र में सीवर सफाई के दौरान हुई 25 लोगों की मौत के मामले में किसी भी पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा नहीं दिया गया. वहीं, गुजरात में सीवर में 156 लोगों की मौत के मामले में सिर्फ़ 53 और उत्तर प्रदेश में 78 मौत के मामलों में सिर्फ़ 23 में ही 10 लाख का मुआवज़ा दिया गया.

मैला ढोने पर रोक के बावजूद कम से कम तीन गुना बढ़ गई मैला ढोने वालों की संख्या

साल 2018 में 18 राज्यों के 170 जिलों में सर्वे कराया गया था. इस दौरान कुल 86,528 लोगों ने खुद को मैला ढोने वाला बताते हुए रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन राज्य सरकारों ने सिर्फ 41,120 लोगों को ही मैला ढोने वाला माना है. बिहार, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और तेलंगाना ने दावा किया है कि उनके यहां मैला ढोने वाला एक भी व्यक्ति नहीं है.

सफाईकर्मियों की मौत पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- लोग मर रहे हैं, किसी को तो जेल जाना पड़ेगा

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड, नई दिल्ली नगर निगम और दिल्ली नगर निगम समेत 10 नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे हलफनामा दायर कर बताएं कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मैनुअल स्कैवेंजर्स को नौकरी पर रखते हैं या नहीं.

मैला ढोने का काम कराने वालों को सजा देने के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं: केंद्र

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया कि पिछले तीन सालों में 88 लोगों की सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मौत हो गई. सबसे ज्यादा 18 मौतें दिल्ली में हुईं.

क्या संविधान ने हमें सम्मान से जीने के लिए पांव धोने की व्यवस्था दी है?

क्या किसी बेरोज़गार के घर समोसा खा लेने से बेरोज़गारों का सम्मान हो सकता है? उन्हें नौकरी चाहिए या प्रधानमंत्री के साथ समोसा खाने का मौक़ा? अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.

दिल्ली जल बोर्ड के सीवर की सफाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत

पीड़ित की पहचान बिहार में कटिहार के निवासी डूमन राय के रूप में हुई है. जहांगीरपुरी इलाके में हुई घटना के संबंध में सुपरवाइज़र गिरफ़्तार.

क्या सरकार मैला ढोने वालों की संख्या जानबूझकर कम बता रही है?

केंद्र के अधीन काम करने वाली संस्था नेशनल सफाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने बताया कि 163 ज़िलों में कराए गए सर्वे में 20,000 लोगों की पहचान मैला ढोने वालों के तौर पर हुई है. हालांकि संस्था ने ये आंकड़ा नहीं बताया कि कितने लोगों ने दावा किया था कि वे मैला ढोने के काम में लगे हुए हैं.