भारत के सबसे पुराने विज्ञान शोध संस्थान इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे हिंदी में कामकाज के लिए पर्याप्त कदम उठाएं. एक वैज्ञानिक का कहना है कि यह चिंताजनक है कि विज्ञान को लेकर स्थापित संस्थान विज्ञान की बजाय भाषा पर बात कर रहा है.
आज हिंदी अपराध-बोध की भाषा है. इस पर यह गंभीर आरोप है कि इसने देश की अनेक बोलियों और भाषाओं का बेरहमी से सरकार की शह पर कत्ल किया है.
‘लय के नाविक’ के रूप में प्रसिद्ध हिंदी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना से कृष्ण प्रताप सिंह की बातचीत.
जन गण मन की बात की 37वीं कड़ी में विनोद दुआ राजभाषा के रूप में हिंदी को थोपने की कोशिश और सरकार की ओर से युवाओं पर कराए गए सर्वे पर चर्चा कर रहे हैं.