छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुकमा ज़िले के एक शख़्स की हत्या के आरोप में नवंबर 2016 में कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नामजद किया था. फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने मामले की जांच की और हत्या में कार्यकर्ताओं की भूमिका न पाए जाने पर आरोप वापस लेते हुए एफआईआर से नाम हटा लिए.