भारत सरकार के कुछ कदम लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी: शीर्ष अमेरिकी अधिकारी

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की नज़रबंदी पर चिंता जताई है.

पुलिस सुधार नहीं हुआ तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगाः यूपी के पूर्व डीजीपी

उत्तर प्रदेश और असम में पुलिस महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह ने कहा है कि अगर समय रहते पुलिस व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो लोकतंत्र को काफ़ी नुकसान होगा. देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए ज़रूरी है कि पुलिस सुधार हों. आधुनिक भारत के लिए आवश्यक है कि पुलिस भी आधुनिक हो.

धीरूभाई शेठ ने एक पूरी पीढ़ी को भारतीय राजनीति और इसकी अंतर्धाराओं से परिचित करवाया…

स्मृति शेष: सीएसडीएस के संस्थापकों में से एक समाजविज्ञानी धीरूभाई शेठ ने कभी अपनी चिंतन प्रक्रिया में अप्रिय तथ्यों को कलम से बचकर निकलने नहीं दिया. उन्होंने आज़ाद भारत में घट र​हीं घटनाओं का कथा वाचक बनने के बजाय उनकी चालक शक्तियों तथा सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया.

हमारा संविधान: अनुच्छेद 15 (5) और 15 (6); मराठा आरक्षण, ईडब्ल्यूएस और संस्थानों में आरक्षण

वीडियो: संविधान में संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 15(5) और 15(6) को जोड़ा गया है, जिनमें सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए ग़ैर सहायता प्राप्त स्कूल और कॉलेजों में और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए वर्ग के लिए आरक्षण की बात कही गई है.

हमारा संविधान: अनुच्छेद 15 (4); पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण और अन्य प्रावधान

वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 15 (4) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष कानून बना पाए. संविधान में पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए क्या कानून है, इसकी जानकारी दे रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.

ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं से भाजपा द्वारा लोकतंत्र पर हमलों के ख़िलाफ़ एकजुट होने की अपील की

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा के कथित हमलों के ख़िलाफ़ ‘एकजुट होकर और प्रभावशाली ढंग से’ संघर्ष करने का समय आ गया है और विपक्षी नेताओं को देश के लोगों के लिए एक ‘विश्वसनीय विकल्प’ पेश करने की कोशिश करनी चाहिए

बलात्कार हर देश में होते हैं पर सिर्फ हमारे यहां पीड़िता को इसका दोष दिया जाता है: निर्मला बनर्जी

साक्षात्कार: महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों, सीमित किए जा रहे अधिकारों के बीच उनसे संबंधित मुद्दों पर बात करने की ज़रूरत और बढ़ गई है. देश में महिलाओं की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर बीते पांच दशकों से महिला आंदोलनों का हिस्सा रहीं वरिष्ठ अर्थशास्त्री निर्मला बनर्जी से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, आपातकाल एक ग़लती थी

एक ऑनलाइन चर्चा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उस दौरान जो भी हुआ वह ग़लत था, लेकिन वह वर्तमान परिप्रेक्ष्य से मौलिक रूप से बिल्कुल अलग था, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर क़ब्ज़ा करने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने दावा किया कि पार्टी में चुनाव कराने की मांग को लेकर उनकी आलोचना की गई थी.

हमारा संविधान: क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 12

वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 12 भाग तीन के लिए 'राज्य' को परिभाषित करता है. संसद, विधानसभा, नगर निकायों के साथ कौन-सी अन्य संस्थाएं है, जिनके ख़िलाफ़ नागरिक मौलिक अधिकारों के हनन के लिए अदालत जा सकते है. इस अनुच्छेद और संबंधित फैसलों के बारे में बता रही हैं अवनि बंसल.

बॉलीवुड की कमज़ोर रीढ़, सेंसरशिप और शिवसेना का बदलता चेहरा

वीडियो: अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर बॉलीवुड का एक जाना माना चेहरा हैं. कांग्रेस के बाद शिवसेना में शामिल होने से लेकर अपनी ज़िंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से उन्होंने साझा किए. बॉलीवुड का कुछ चुने हुए मुद्दों पर ही बोलने के क्या मायने हैं और देश के लोकतंत्र को वो किस तरह देखती हैं? आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की उनसे बातचीत.

मीडिया बोल: चुटकुला बनती सियासत और मीडिया

वीडियो: मौजूदा दौर में राजनीति और मीडिया के बड़े मंच ऐसे दयनीय हाल में हैं कि ख़ुद ही चुटकुला बन गए हैं. दूसरी तरफ गंभीर पत्रकारों या कॉमेडियंस की टिप्पणियों से कभी सरकार, तो कभी न्यायपालिका को आहत हो रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन और टीवी एंकर मीनाक्षी श्योराण से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.

असहमति का अधिकार लोकतंत्र की विशेषता, सरकार की आलोचना होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि कोई पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वो आलोचनाओं से परे नहीं रह सकती है. असहमति का अधिकार ऐसी आलोचनाओं की इजाज़त देता है.

अगर सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियां ​​स्वतंत्र रूप से काम न करें, तो लोकतंत्र के लिए ख़तरा: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी 2016 के कथित तौर पर ज़मीन हड़पने के एक मामले में एनसीपी नेता एकनाथ खड़से की याचिका पर सुनवाई के दौरान की. याचिका में ईडी द्वारा पिछले साल अक्टूबर में दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

हमारा संविधान: लोकतंत्र, संविधान और संविधानवाद

वीडियो: हमारा संविधान कार्यक्रम की पहली कड़ी में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल बता रही हैं कि कैसे संविधान लोकतंत्र को स्थापित करता है और लोकतंत्र को रंग-रूप देता है संविधानवाद. संविधान और संविधानवाद में क्या अंतर होता है?

न्यायपालिका को अवमानना सुनवाई पर कीमती समय बर्बाद नहीं करना चाहिए: बॉम्बे हाईकोर्ट

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे ने कहा कि आलोचना के लिए न्यायपालिका को तैयार होना चाहिए, क्योंकि अवमानना की सुनवाइयों में कीमती न्यायिक समय बर्बाद होता है और ज़रूरी मुद्दे नहीं सुने जाते.

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