जेल में बंद वरवरा राव शुक्रवार शाम बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. महामारी के दौर में भी अदालत ने उन्हें वे रियायत देने की ज़रूरत नहीं समझी है, जो अन्य बुज़ुर्ग क़ैदियों को दी जाती हैं.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि वरवरा राव अगस्त, 2018 से जेल में बंद हैं. मामले की एक अन्य आरोपी सुधा भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि एल्गार और भीमा-कोरेगांव दो अलग विषय हैं. मेरे दलित भाइयों से जुड़ा मुद्दा भीमा-कोरेगांव का है और इसे मैं केंद्र को नहीं सौंपूंगा. मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि दलित भाइयों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा.
एनआईए अधिकारियों के एक दल ने सोमवार को पुणे सिटी पुलिस को आधिकारिक रूप से सूचित किया था कि एजेंसी एल्गार परिषद मामले की जांच करेगी, जिसमें पुणे पुलिस ने अब तक 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी से कथित संबंधों के लिए नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.
महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार द्वारा भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र की समीक्षा के लिए की गई बैठक के एक दिन बाद शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक प्रकाश गजभिये ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की थी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लिखे पत्र में एनसीपी नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने दावा किया कि राज्य की पिछली देवेंद्र फड़णवीस सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत भीमा-कोरेगांव घटनाक्रम में शामिल लोगों के खिलाफ ‘झूठे’ मामले दर्ज किए थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख निर्धारित की है. नवलखा की याचिका के साथ ही मामले में सह आरोपी आनंद तेलतुंबड़े की याचिका पर भी सुनवाई होगी.
पुणे की विशेष अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया नवलखा के खिलाफ ऐसे सबूत हैं जो साबित करते हैं कि वे प्रतिबंधित संगठन के एक सदस्य ही नहीं बल्कि सक्रिय नेता हैं. इसलिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है. भीमा कोरेगांव हिंसा मामला में गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ था.
माओवादियों से कथित संबंध के आरोप में गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस दलील के साथ याचिकाएं दायर की थीं कि पुलिस उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई है.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को और अंतरिम संरक्षण दिए जाने का विरोध किया तो सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की.
सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्णन गोंसाल्विस को जनवरी 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में माओवादियों से कथित लिंक होने के आरोप में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को राहत देते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि जब तक अदालत में सुनवाई जारी है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. सीजेआई रंजन गोगोई सहित अब तक कुल चार जज इस मामले की सुनवाई करने से खुद को अलग कर चुके हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. अदालत ने कहा कि नवलखा की अपील अब तीन अक्टूबर को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी.