स्विस संगठन ‘आईक्यू एयर’ की ‘वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट 2020' के मुताबिक दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में 10वें नंबर पर है. दुनिया में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर चीन का शिंजियांग है. उसके बाद शीर्ष 10 में से 9 शहर भारत के हैं. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार सुबह घना कोहरा छाया रहा. सफ़दरजंग में दृश्यता गिरकर 50 मीटर और पालम में 250 मीटर रह गई थी. वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह नौ बजे 331 रहा.
लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में स्टेट लेवल डिसीज़ बर्डेन इनिशिएटिव के 'वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर असर' शीर्षक से प्रकाशित हुए पेपर के अनुसार घरों के भीतर वायु प्रदूषण कम होने की वजह से बीमारियों का ग्राफ गिरा है, वहीं बाहरी वायु प्रदूषण के चलते बीमारियों का भार बढ़ा है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक हवा की गति और धीमी पड़ने का अनुमान है, इसलिए दिल्ली की वायु गुणवत्ता के अगले दो दिन में और ख़राब होने तथा ‘ख़राब’ से ‘अत्यंत ख़राब’ के बीच बनी रहने की आशंका है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर विभिन्न अस्पतालों और संस्थानों के चिकित्सकों ने चिंता ज़ाहिर की है. दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 से रोज़ाना 100 से अधिक मौतें हुई हैं. नई दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में देर से भर्ती करने के कारण उनकी हालत गंभीर होने, आईसीयू बिस्तरों की कमी, प्रतिकूल मौसम और बढ़ता प्रदूषण दिल्ली में कोरोना वायरस संबंधी मौत के मामलों में वृद्धि के मुख्य
पीएम 2.5 कणों का आपात स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होता है. रविवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में यह 396 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद तेलंगाना फायरवर्कर्स डीलर्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी थी कि इस फैसले से उनकी आजीविका प्रभावित होगी.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने त्योहारी मौसम के दौरान प्रदूषण में बढ़ोतरी होने की संभावना देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में 17 नवंबर तक हॉट मिक्स संयंत्र और स्टोन क्रशर को बंद करने का निर्देश दिया है. दिल्ली में लगातार छह दिनों तक प्रदूषण स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहा था.
बीते पांच नवंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने दिवाली, काली पूजा और छठ पूजा सहित आगामी त्योहारों के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाल और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान जीवन बचाना अधिक महत्वपूर्ण है.
एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में नौ नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगाते हुए कहा है कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और क़स्बे में लागू होगा जहां नवंबर के महीने में पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता ख़राब या उससे निम्नतम श्रेणियों में दर्ज की गई थी.
दिल्ली सरकार के इस फैसले पर पटाखा कारोबारियों ने कहा कि वे उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करेंगे और इस संबंध में राहत देने का अनुरोध करेंगे. उधर, दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सरकारी, निजी कार्यालयों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को कम से कम 30 प्रतिशत गाड़ियों का इस्तेमाल घटाने का सुझाव दिया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह आठ बजे 561 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो कि पिछले साल 15 नवंबर के बाद से सर्वाधिक है. आसमान में धुंध छाने से लोगों ने गले में ख़राश और आंखों से पानी निकलने की शिकायत की.
दिल्ली में शुक्रवार सुबह 9:30 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 380 दर्ज किया गया. बृहस्पतिवार को 24 घंटे का औसत सूचकांक 395 रहा था. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफ़र’ ने कहा कि सतह पर हवा की गति बढ़ने से शनिवार तक हालात में सुधार की उम्मीद है.
जर्मनी के मैक्स प्लांक रसायन विज्ञान संस्थान के अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच सीधे जुड़ाव को नहीं दिखता, लेकिन वायु प्रदूषण के कारण इस बीमारी की गंभीरता बढ़ने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जोखिमों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध देखा गया है.
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 नाम की एक रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक वायु प्रदूषण मे रहने कारण दिल का दौरा, डायबिटीज़, फेफड़ों के कैंसर और जन्म के समय होने वाली बीमारियों आदि की चपेट में आकर साल 2019 में भारत में 16,67,000 लोगों की मौत हुई.