सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की जेलों में बंद 41.55 फीसदी क़ैदियों ने दसवीं कक्षा से कम तक ही पढ़ाई की है. 6.31 फीसदी क़ैदी ग्रेजुएट और 1.68 प्रतिशत पोस्ट-ग्रेजुएट हैं.
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि ओबीसी, एससी और अन्य श्रेणियों के क़ैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की है. इसके अलावा देशभर की जेलों में कुल क़ैदियों में 95.83 फ़ीसदी पुरुष और 4.16 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2019 के आंकड़ो के अनुसार देश की जेलों में बंद विचाराधीन मुस्लिम क़ैदियों की संख्या दोषी ठहराए गए मुस्लिम क़ैदियों से अधिक है.
कोरोनावायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से जेल में बंद क़ैदियों की रिहाई के लिए एक पैनल गठित करने को कहा है. यह पैनल सात साल तक की सज़ा से संबंधित अपराधों के सज़ायाफ़्ता या इतने ही समय की सज़ा होने के अपराध के आरोपी विचाराधीन क़ैदियों की अंतरिम ज़मानत या पैरोल पर रिहाई के बारे में निर्णय देगा.
मृतक क़ैदी सोना लूटने की एक घटना का आरोपी था. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा जेलर और वार्डन सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया.
क़ैदी ने बताया कि नवरात्रि में उसे जबरन भूखा रखा गया और धर्म परिवर्तन कर हिंदू बनाने की धमकी भी दी गई.
'क्रिमिनल जस्टिस इन द शैडो ऑफ कास्ट' नाम से प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये तथ्य बताते हैं कि पुलिस द्वारा दलित और आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है.