बैंकों का कहना है कि बढ़ते फंसे क़र्ज़ व उसके लिए ऊंचे प्रावधान के चलते वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में उनका घाटा बढ़ा.
दो हज़ार करोड़ के फंड के साथ पचास करोड़ लोगों को बीमा देने की करामात भारत में ही हो सकती है. यहां के लोग ठगे जाने में माहिर हैं. दो बजट पहले एक लाख बीमा देने का ऐलान हुआ था, आज तक उसका पता नहीं है.