विष्णु खरे ने न सिर्फ एक नई तरह की भाषा और संवेदना से समकालीन हिंदी कविता को नया मिज़ाज़ दिया बल्कि उसे बदला भी. एक बड़े कवि की पहचान इस बात से भी होती है कि वह पहले से चली आ रही कविता को कितना बदलता है. और इस लिहाज़ से खरे अपनी पीढ़ी और समय के एक बड़े उदाहरण हैं.
मस्तिष्क आघात के बाद हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का राजधानी नई दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल में चल रहा था इलाज.