राम मंदिर के लिए अध्यादेश की मांग कर रहे विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि वह नहीं चाहता कि राम मंदिर निर्माण लोकसभा चुनाव में मुद्दा बने इसलिए चुनाव तक मंदिर निर्माण के आंदोलन को रोका जा रहा है.
शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तीन दिवसीय 'परम धर्म संसद' में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के लिए 21 फरवरी की तारीख की घोषणा करते हुए कहा कि अंकोरवाट मंदिर की तरह अयोध्या में एक भव्य मंदिर बनेगा और बाद में उसे वेटिकन सिटी की तरह दर्जा दिया जाएगा.
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि भाजपा बेईमान लोगों की पार्टी है जिन्हें न तो नीतियों की परवाह है और न ही मर्यादा की, वे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के भक्त कैसे हो सकते हैं.
संघ के लिए केंद्र में सत्ता मंज़िल की सीढ़ी है, अपने आप में मंज़िल नहीं. उसने भाजपा को दो से अस्सी सीट पर पहुंचाने वाले, राम मंदिर मुद्दे के पुरोधा लालकृष्ण आडवाणी को किनारे कर मोदी के लिए हामी भरने में कोई देरी नहीं की. वो कभी ऐसे किसी भी नेता को मंज़ूर नहीं करेगा जो उसकी विचारधारा और ताक़त से ज़्यादा कद्दावर दिखने लगे.
अगला आदेश तीन जजों की एक उपयुक्त पीठ द्वारा पारित किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की समयबद्ध सुनवाई की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी.
नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर पर अध्यादेश को लेकर दिए गए बयान पर विहिप ने कहा कि राम मंदिर पर फैसले के लिए अनंतकाल तक इंतज़ार नहीं कर सकते हिंदू. शिवसेना ने कहा कि क्या मोदी के लिए क़ानून भगवान राम से भी बड़ा है.
उत्तर प्रदेश बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फरयाब जिलानी ने बताया कि वे अदालती कार्यवाही से संतुष्ट हैं, लेकिन अगर मोदी सरकार मंदिर बनाने पर कोई अध्यादेश या क़ानून लाती है, तो उसे चुनौती दी जाएगी.
दंगों के लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं. पुलिस ने भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची और अन्य के ख़िलाफ़ इसमें उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था.
फैज़ाबाद से निकलने वाले हिन्दी दैनिक जनमोर्चा के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह की किताब ‘अयोध्या- रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद का सच’ बताती है कि अयोध्या विवाद में सारी पेचीदगियां राजनीति द्वारा अपनी स्वार्थ साधना के लिए इस मुद्दे के बेजा इस्तेमाल से पैदा हुई हैं.
हिंदू पक्ष के छह दावेदारों में से दो अयोध्या स्थित विवादित स्थल पर विराजमान रामलला के विरुद्ध ही अदालत गए हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी ने अयोध्या में धर्म सभा के नाम पर भीड़ जुटाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन लोगों को विधान भवन या संसद का घेराव करना चाहिए और अयोध्या के लोगों को सुकून से रहने देना चाहिए.
बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि भीम आर्मी जैसे संगठन लोगों को जातियों के नाम पर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे केवल हिंसा होगी और समाज का ध्रुवीकरण होगा.
अयोध्या में 1990-92 में प्रिंट मीडिया का प्रभुत्व था, अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उसे पीछे धकेलकर सांप्रदायिक पत्रकारिता का परचम उससे छीन लिया है और ख़ुद को राम मंदिर आंदोलन का अघोषित प्रवक्ता बना लिया है.
25 नवंबर को अयोध्या में हिंदू संगठनों के जुटान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का नज़रिया.
बीते 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए जनवरी में तारीख तय की जाएगी और मामले को उचित पीठ के पास भेजा जाएगा.