2002 के गुजरात दंगों में अपनी ज़िंदगी बिखरते देख चुके प्रोफेसर जेएस बंदूकवाला मानते हैं कि भले ही देश भगवाकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद अच्छे भविष्य की उम्मीद फीकी नहीं हुई है.
माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह यात्रा भाजपा और आरएसएस के पक्ष में हिंदू वोट बैंक को मज़बूत करने के लिए आयोजित की गई है.
गणतंत्र दिवस पर कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से ‘नक्षत्र कम्प्यूटर’ नाम के वॉट्सएप ग्रुप में भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही थीं.
1996 में प्रवीण तोगड़िया समेत 38 अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए हत्या के प्रयास के मामले को वापस लेने की गुजरात सरकार की दरख़्वास्त अहमदाबाद की एक अदालत ने स्वीकार कर ली है.
कासगंज में जिन अल्पसंख्यकों ने तिरंगा फहराने के लिए सड़क पर कुर्सियां बिछा रखी थीं, वे अचानक वंदे मातरम् का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन क्यों करने लगेंगे?
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर मृतक चंदन गुप्ता की जगह कोई मोहम्मद इस्माईल होता तो मीडिया में अलग बहस होती.
सच तो ये है कि आप हिंदुओं के पक्ष में भी नहीं बोल रहे हैं. आप सिर्फ़ एक राजनीतिक दल के अघोषित प्रवक्ता बने हुए हैं. हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करके आप उनके राजनीतिक हित साध रहे हैं.
हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा. परिवार ने की शहीद का दर्जा देने की मांग. हिंसा में घायल एक अन्य व्यक्ति ने अपनी आंख गंवाई.
हिंसा के तीसरे तीन भी तनाव बरक़रार. धारा 144 लागू. इंटरनेट रविवार रात तक के लिए प्रतिबंधित. हिंसा के तीसरे दिन उपद्रवियों ने गुमटी जलाई.
26 जनवरी को विहिप और एबीवीपी कार्यकर्ताओं की तिरंगा यात्रा के दौरान नारेबाज़ी के बाद हुआ उपद्रव. शनिवार को फायरिंग में मारे गए युवक के अंतिम संस्कार के बाद हिंसा और आगज़नी जारी.
एक दशक पुराने एक मामले में राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने अहमदाबाद गई तो कुछ समय के लिए लापता हो गए थे.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार की उल्टी गिनती शुरू.
अगरतला में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, जीवन पद्धति है हिंदुत्व.
एनजीटी ने कहा कि केवल इतना प्रतिबंध लगाया था कि किसी भी श्रद्धालु या किसी भी व्यक्ति को अमरनाथ महाशिवलिंग के समक्ष खड़े होने के दौरान शांति बनाए रखनी चाहिए.
बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद के रक्तरंजित दौर की तरफ पच्चीस साल बाद फिर लौटते हुए हम नए सिरे से उस पुराने द्वंद्व से रूबरू होते हैं जो हर ऐसे सांप्रदायिक दावानल के बहाने उठता है.