भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को जुलाई 2019 में वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में स्थानातंरित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था और उन्हें 31 अक्टूबर 2019 को कार्यमुक्त कर दिया गया.
सरकार देश की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी तथा दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपारेशन लिमिटेड निजीकरण के लिए तैयार है. एक अधिकारी ने बताया कि वीआरएस उन कर्मचारियों को बाहर निकलने का विकल्प देने लिए लाया गया है, जो निजी प्रबंधन के तहत काम नहीं करना चाहते हैं.
ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल ने एक बयान में कहा कि इस हड़ताल की प्रमुख वजह बीएसएनएल के पुनरोद्धार पैकेज को अमल में लाने में देरी और कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण है.
वित्तीय संकट से जूझ रहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल ने नवंबर की शुरुआत में अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) योजना पेश की थी. बीएसएनएल के प्रबंधन ने दावा किया था कि कुल 1.6 लाख कर्मचारियों में से 77 हज़ार कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है.
बीते बुधवार को जारी एक आदेश के तहत सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली सचिव बना दिया गया. बिजली मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की तुलना में हल्का विभाग माना जाता है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने बीएसएनएल से कहा है कि वह उन सभी विकल्पों पर ध्यान दे, जिससे या तो कंपनी दोबारा खड़ी की जा सके या चरणबद्ध तरीके से पूंजी निवेश कम करते हुए इसे बंद करने के बारे में सोचा जाए.