टोयोटा और हार्ले: क्या भारत में टैक्स और संस्थागत मांग को लेकर समस्याएं हैं?

वर्तमान आर्थिक स्थिति में भारत वैश्विक कंपनियों के लिए एक कम आकर्षक बाज़ार बन रहा है, जिसके संरचनात्मक रूप से ठीक होने में समय लग सकता है. कई वैश्विक ब्रांड भारत में या तो बड़े पैमाने पर निवेश घटाना चाहते हैं या अर्थव्यवस्था को देखते हुए आगे विस्तार के लिए निवेश नहीं कर रहे हैं.

क्या भारत डब्ल्यूटीओ के जाल में फंस चुका है?

भारत सरकार अब इस बात से सहमत है कि खाद्य सब्सिडी को कम से कम किया जाना होगा, इस कारण से पूरी संभावना है कि भारत में रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक गैर-बराबरी का दर्द अब और ज़्यादा बढ़ेगा.

नीति बनाने वाले किसान और उपभोक्ता को एक-दूसरे का दुश्मन बना रहे हैं

जब कुछ ख़ास व्यापारिक प्रतिष्ठानों का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा, तब क़ीमतें सरकार और किसान नहीं, बड़ी कंपनियां तय करेंगी.