आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया कि संगठन में एक ही विचारधारा सतत रूप से चलती चली आई है कि जो भारत भूमि की भक्ति' करता है, वही हिंदु है.
आरटीआई के जरिए गृह मंत्रालय से मिले आंकड़े बताते हैं कि मई, 2014 से मई, 2017 तक में सिर्फ जम्मू कश्मीर में 812 आतंकी घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में 62 नागरिक मारे गए, जबकि 183 जवान शहीद हो गए.
संघ की ओर से नागपुर में हर साल होने वाले दशहरा कार्यक्रम में शामिल हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी. कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समाज की परंपरा पर विचार नहीं किया.
विजयदशमी के अवसर पर नागपुर में अपने वार्षिक संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रहित के इस मामले में स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक राजनीति करने वाली कुछ कट्टरपंथी ताकतें रोड़े अटका रही हैं. राजनीति के कारण मंदिर निर्माण में देरी हो रही है.
वे सभी लोग जो नए कलेवर में प्रस्तुत संघ को लेकर प्रसन्न हो रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब संघ इस क़वायद में जुटा है. उन्हें 1977 के अख़बारों को पलट कर देखना चाहिए जब यह बात फैलाई जा रही थी कि संघ अब अपनी कतारों में मुसलमानों को भी शामिल करेगा. लेकिन यह शिगूफ़ा साबित हुआ.
संघ प्रमुख के हालिया बयानों की गंभीरता और विश्वसनीयता को इस कसौटी पर परखा जाना चाहिए कि आरएसएस से संबद्ध संगठन अपना आगामी चुनाव अभियान किस तरह से चलाते हैं.
जन गण मन की बात की 306वीं कड़ी में विनोद दुआ संघ के बदलते रवैये और मंत्रियों की बीमारी के बारे मोदी सरकार द्वारा बरती जा रही गोपनीयता पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 305वीं कड़ी में विनोद दुआ संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया भाषण, इसके राजनीतिक महत्व और देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान हिंदुओं का देश है. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हिंदुस्तान दूसरे लोगों का देश नहीं है.
संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू धर्म के दरवाजे सभी के लिए आज भी खुले हुए हैं, क्योंकि हम यह मानते हैं कि हम सबके पूर्वज हिंदू ही हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने अपील की कि क़ानून का पालन करते हुए गाय की रक्षा करने का काम किया जाए.
कार्यक्रम में कहा गया कि शैक्षिक संस्थानों में संस्कृति के नाम पर जो हो रहा है वह हमारी असल संस्कृति पर हमला है- चाहे वो कल्चरल इवनिंग जैसे कार्यक्रम हों या विरोध की संस्कृति से जुड़े आयोजन. इससे नौजवानों का दिमाग और शैक्षणिक संस्थानों का माहौल बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.