मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.
गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा में कहा कि आतंकवादी संगठन कट्टरपंथ को फैलाने के लिए विभिन्न मंचों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आधार क़ानून को एक धन-विधेयक के तौर पर पारित किया गया था और इसका संबंध सिर्फ़ भारत की संचित निधि से जुड़ी चीज़ों से होना चाहिए. लेकिन, क्या कोई व्यवस्था के भीतर इस बात पर ध्यान देता है?
सर्वे के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पहली बार मीडिया सबसे कम भरोसेमंद संस्थान बना. भरोसे में सर्वाधिक कमी के मामले में अमेरिका अव्वल रहा.
मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड की पहल पर कांग्रेस, माकपा और आप ने कहा यह दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगा.
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, राष्ट्रीय पुस्तकालय समेत देश के कई अहम सांस्कृतिक संगठनों में प्रमुख के पद ख़ाली, संसदीय समिति ने निराशा व्यक्त की.
चिदंबरम ने तमिलनाडु के राज्यपाल पर बोला हमला, कहा- वे राज्य कार्यपालिका के वास्तविक प्रमुख नहीं हैं, मुख्यमंत्री को आदेश देना चाहिए कि प्रशासन राज्यपाल द्वारा बुलाई बैठक का हिस्सा बनने से इनकार कर दे.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, एक साल के लिए 12 विशेष अदालतें नेताओं के ख़िलाफ़ लंबित मामलों के निबटारे के लिए गठित की जाएंगी.
15 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पूर्व सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
मीडिया से सवाल पूछने की बात करना बेकार है क्योंकि वह सवाल पूछना भूल चुकी है.
कांग्रेस ने कहा, सांसदों को उनके दायित्व निर्वहन से वंचित किया जा रहा है. राष्ट्रपति को संविधान के संरक्षक के रूप में फौरन हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
रविशंकर प्रसाद कह रहे नोटबंदी से देह व्यापार में कमी आई. जल्दी ही कोई दावा कर देगा कि नोटबंदी से चर्मरोग और गंजापन भी दूर होने लगा है.
सरकार के हर फ़ैसले और बयान को देशभक्ति का पैमाना मत बनाइए. सरकारें आएंगी, जाएंगी. देश का इक़बाल खिचड़ी जैसे फ़ैसलों का मोहताज नहीं.
खान-पान और आस्था के नाम पर लोगों को नये-नये अंधकूपों में धकेला जा रहा है.
मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति ने दिया सुझाव, सरकार स्पष्ट करे कि किसी वस्तु का एमआरपी उसकी अधिकतम क़ीमत है, इससे अधिक दाम पर बेचना अपराध है.