भारतीय खेल प्राधिकरण की 24 अलग-अलग इकाइयों में कई मामलों में आरोपियों को मामूली सजा देकर छोड़ दिया गया, जिसमें तबादलों से लेकर वेतन या पेंशन में मामूली कटौती तक की सजा हुई. वहीं, लगभग एक दर्जन शिकायतों की जांच सालों से चली आ रही है, जिसमें अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है.
क्रिकेट में लाख अनियमितताओं के बावजूद खेल का स्तर बना रहा, जबकि अन्य खेल जो सरकार के अधीन रहे, वहां अनियमितताएं इस कदर हुईं कि खेल ही रसातल में चले गए.