उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में हुआ जन्म. पेट में संक्रमण की वजह से केदारनाथ सिंह को नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था.
निराला के देखने का दायरा बहुत बड़ा था. ‘देखना’ वेदना से गुज़रना है. उन्होंने अपने शहर के रास्ते पर ‘गुरु हथौड़ा हाथ लिए’ पत्थर तोड़ती हुई औरत देखी. सभ्यता की वह राह देखी जहां से ‘जनता को पोथियों में बांधे हुए ऋषि-मुनि’ आराम से गुज़र गए. चुपके से प्रेम करने वाला ‘बम्हन लड़का’ और उसकी ‘कहारिन’ प्रेमिका देखी.
हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?
विश्व पुस्तक मेला अब महज़ किताबों की ख़रीद-बिक्री, लेखकों एवं पाठकों का मिलन स्थल ही नहीं रहा बल्कि धर्म के प्रचार का केंद्र भी बन गया है.
शायर अनवर जलालपुरी ऐसे गुलाब थे जिसकी ख़ुशबू जलालपुर की सरहदों को पार कर पूरी दुनिया में फैली और दिलों को महकाया.
अनवर जलालपुरी को याद करते हुए मशहूर शायर मुनव्वर राना कहते है कि एक टीचर के बतौर वो हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न हो. वो सांप्रदायिकता और अश्लीलता की तरफ न जाये.
जयंती विशेष: हिंदी के लोग अब आम तौर पर लेखक और पत्रकार पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी को न याद करते हैं, न ही उनकी पत्रिका ‘विशाल भारत’ को. यहां तक कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भी उन्हें याद नहीं किया जाता.
हिंदी कविता में जब कुछ बड़े कवियों की धूम मची थी, अदम गोंडवी अपने श्रोताओं और पाठकों को गांवों की उन तंग गलियों में ले गए जहां जीवन उत्पीड़न का शिकार हो रहा था.
हाल ही में व्यास सम्मान पाने वाली वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया ने कहा, यह अच्छा संकेत है कि महिलाएं अपनी पीड़ा, संघर्षों और अनुभवों के बारे में खुलकर लिख रही हैं.
पुण्यतिथि विशेष: विद्रोही अभी ज़िंदा हैं. सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लेंगे, सारे तानाशाह और ज़ुल्मी मर जाएंगे, उसके बाद विद्रोही मरेंगे आराम से, वसंत ऋतु में.
हरिशंकर परसाई ने मुक्तिबोध को याद करते हुए लिखा कि जैसे ज़िंदगी में मुक्तिबोध ने किसी से लाभ के लिए समझौता नहीं किया, वैसे मृत्यु से भी कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे.
ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने बताया साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा.
अपने जीवन के विषाद, विष, अंधेरे को निराला ने जिस तरह से करुणा और प्रकाश में बदला, वह हिंदी साहित्य में अद्वितीय है.
अब जल्द ही पश्चिम बंगाल जाने वाले यात्री एक ऐसी ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं जिसका नाम महाश्वेता देवी के किसी उपन्यास पर रखा जाएगा.
भक्तिकालीन कवियों के बारे में कहा जाता है कि उनकी कविताएं कालजयी इसीलिए हो पाईं क्योंकि वे जीवन के प्राथमिक सच प्यार और मौत के बारे में बात करती हैं. यह आप देवताले की भी कविताओं में देख सकते हैं.