इस पद के लिए तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इन सबको दरकिनार कर चयन समिति ने जस्टिस अरुण मिश्रा को तरजीह दी. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी, जिसके कारण उनकी आलोचना हुई थी कि वह किस हद तक सरकार के क़रीबी हैं.
कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नज़र रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.
देश में कोरोना महामारी की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेने के मामले को लेकर कुछ वरिष्ठ वकीलों की टिप्पणियों से नाख़ुश शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई टालते हुए कहा कि उसने देश में कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े मामलों की सुनवाई करने से उच्च न्यायालयों को नहीं रोका है.
देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चार बिंदुओं- ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण की विधि और लॉकडाउन घोषित करने की राज्य की शक्ति पर संज्ञान लेने का प्रस्ताव कर रहा है और इस बारे में एक राष्ट्रीय योजना के लिए नोटिस जारी करना चाहता है.
उच्च न्यायालयों में महिला जजों की नियुक्ति संबंधी याचिका की सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि केवल हाईकोर्ट में ही क्यों, समय आ गया है जब भारत की प्रधान न्यायाधीश महिला होनी चाहिए. तीन जजों की पीठ ने यह भी कहा कि कॉलेजियम ने हर बैठक उच्च न्यायपालिका में महिलाओं की नियुक्ति पर विचार किया है.
देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने शनिवार को गोवा में हुए एक कार्यक्रम में यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस बारे में अक्सर चर्चा करने वाले बुद्धिजीवियों को यहां आकर इसका प्रभाव देखना चाहिए. गोवा देश का एकमात्र राज्य है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है.
बीते दिनों मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे द्वारा एक बलात्कार के आरोपी से पूछा गया था कि क्या वह पीड़िता से विवाह करना चाहता है. इसे लेकर काफी आलोचना हुई थी और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके इस्तीफ़े की भी मांग की थी. अब सीजेआई बोबडे ने कहा है कि अदालत ने ऐसा आदेश नहीं दिया था, बस पूछा था.
चार हज़ार से अधिक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील समूहों और नागरिकों ने सीजेआई एसए बोबडे से पद छोड़ने की मांग करते हुए कहा कि उनके शब्द अदालत की गरिमा पर दाग़ लगा रहे हैं और उस चुप्पी को बढ़ावा दे रहे हैं जिसे तोड़ने के लिए महिलाओं ने कई दशकों तक संघर्ष किया है.
एक नाबालिग लड़की से कई बार बलात्कार करने के आरोपी महाराष्ट्र के एक सरकारी कर्मचारी ने हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत रद्द होने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी. सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबडे ने उससे पूछा कि क्या वह पीड़िता से शादी करना चाहता है, जिस पर उसके वकील ने बताया कि वह विवाहित है.
वकील के तौर पर काम करने के दौरान जस्टिस एसए बोबडे शेतकारी संगठन से जुड़े थे, जिसके प्रमुख अनिल घनवट कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बात करने के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की समिति में हैं. घनवट बोबडे के संगठन से अलग होने के बाद उभरे, पर वरिष्ठ किसान नेताओं ने उनके चयन पर सवाल उठाए हैं.
भारती सीमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के परिवार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है और उनकी पत्नी कंपनी की निदेशक हैं. अप्रैल 2020 से 18 जनवरी 2021 तक राज्य द्वारा सीमेंट की ख़रीद के लिए दिए गए कुल ऑर्डर में से 14 फीसदी इस कंपनी को मिले हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उच्चतर न्यायपालिका के जज के ख़िलाफ़ शिकायत पर सीजेआई की संभावित कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के हवाले से प्रकाशित हुई ख़बरों के बाद शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस तरह की प्रक्रियाएं आतंरिक होती हैं, जिनकी जानकारी जारी नहीं की जाती.
सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश सरकार की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा राज्य में संवैधानिक संकट होने या नहीं होने की जांच करने का आदेश दिए जाने को चुनौती दी गई है.
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने एक शिकायत में कहा था कि राज्य में अहम पदों पर बैठे कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने जानबूझकर सुप्रीम और हाईकोर्ट के कुछ जजों पर आदेश सुनाने में जाति व भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगाए. हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच राज्य सीआईडी से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में दर्ज तीन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने न केवल न्यायपालिका के ख़िलाफ़ आरोप लगाते हुए सीजेआई को पत्र लिखा, बल्कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठे बयान भी दिए.