बस्तर संभाग के सुकमा ज़िले के सिलगेर गांव में 20 दिनों से हज़ारों ग्रामीण आंदोलनरत हैं. उनका कहना है कि उन्हें जानकारी दिए बिना उनकी ज़मीन पर राज्य सरकार ने सुरक्षाबल के कैंप लगा दिए हैं. ग्रामीणों को हटाने के लिए हुई पुलिस की गोलीबारी में तीन ग्रामीणों की मौत हुई है, जिसके बाद से आदिवासियों में काफ़ी आक्रोश है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के सिलगर गांव स्थित सीआरपीएफ के सुरक्षा शिविर के विरोध में आदिवासियों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था. इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस फायरिंग में बीते 17 मई को तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए थे. सुरक्षाबलों ने मारे गए लोगों को माओवादी बताया था और मृतकों के परिजनों ने इस बात से इनकार किया है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगर गांव में बने सीआरपीएफ के शिविर का आदिवासी विरोध कर रहे हैं. 17 मई को पुलिस फायरिंग में मारे गए तीन लोगों को पुलिस ने माओवादी बताया है, जबकि उनके परिजन इस बात से इनकार कर रहे हैं.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने अपहृत पुलिस अधिकारी मुरली ताती के शव के पास एक पर्चा भी रखा था, जिसमें ताती को जन अदालत में सजा दिए जाने की बात कही गई है. बीते 21 अप्रैल को नक्सलियों ने बीजापुर ज़िले के पालनार क्षेत्र से मुरली ताती का अपहरण कर लिया था. पालनार ताती का गृह ग्राम है. वह बस्तर ज़िले के जगदलपुर में तैनात थे.
नक्सल समस्या केवल ‘पुलिस समस्या’ नहीं है जो केवल बल प्रयोग से हल हो जाए- इसके अनेक जटिल पहलू हैं. सरकार को अपना झूठा अहंकार त्यागकर उन पहलुओं को भी संबोधित करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले के बाद कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को बंधक बना लिया था. उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन गुरुवार को उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया.
बीते शनिवार को बीजापुर-सुकमा ज़िले की सीमा पर जोनागुड़ा गांव के पास नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे. इस दौरान सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह लापता हो गए थे. उनकी रिहाई की मांग करते हुए परिवार ने कहा कि उन्हें इस बारे में मीडिया से जानकारी मिली, सरकार द्वारा कुछ नहीं बताया गया.
शनिवार दोपहर छत्तीसगढ़ में बीजापुर-सुकमा ज़िले की सीमा पर जगरगुंड़ा थाना क्षेत्र (सुकमा जिला) के अंतर्गत जोनागुड़ा गांव के पास नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच तीन घंटे चली मुठभेड़ में पांच जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के दौरान 18 अन्य जवानों के लापता होने की जानकारी मिली थी.
मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए एक माओवादी हमले में 17 पुलिसकर्मी मारे गए थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि तब सीआरपीएफ की टीम घटनास्थल के पास ही थी लेकिन आदेश न मिलने के कारण उन्होंने कार्रवाई नहीं की.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुकमा ज़िले के एक शख़्स की हत्या के आरोप में नवंबर 2016 में कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नामजद किया था. फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने मामले की जांच की और हत्या में कार्यकर्ताओं की भूमिका न पाए जाने पर आरोप वापस लेते हुए एफआईआर से नाम हटा लिए.
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मिनपा गांव के जंगल में नक्सलरोधी कार्रवाई के दौरान जवानों पर लगभग 250 की संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया. मुठभेड़ के दौरान आठ से नौ नक्सलियों को मार गिराया है और इतने ही संख्या में नक्सली घायल भी हुए हैं.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले के किरंदुल क्षेत्र के अंतर्गत बैलाडीला की एक पहाड़ी पर लौह अयस्क का भंडार है. आदिवासियों ने दावा किया कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने इस पहाड़ी को अडानी समूह को सौंप दिया है.
नवंबर 2016 में छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और जेएनयू की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद समेत 6 लोगों पर सुकमा के एक आदिवासी की हत्या का मामला दर्ज किया था. अब चार्जशीट में पुलिस ने कहा कि जांच में आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला.
बस्तर की एक नाबालिग ने सैन्य बलों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था.
आदिवासी तो दुनिया बनने से लेकर आज़ाद ही हैं. बस्तर के इन जंगलों में तो अंग्रेेज़ भी नहीं आए. इसलिए इन आदिवासियों ने अपनी ज़िंदगी में न ग़ुलामी देखी है, न ग़ुलामी के बारे में सुना है.